पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अमृत मंथन के समय निकले विष का पान करने से भगवान शिव पर उसका असर होने लगा था, तब उसे कम करने के लिए सभी देवी और देवताओं ने उनका जलाभिषेक करना शुरू कर दिया था.
इसके बाद से ही भगवान भोले नाथ को जलाभिषेक किया जाने लगा. मान्यता है कि जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
हालांकि, कई बार लोग लोटे में जल भरकर सीधे शिवलिंग पर चढ़ा देते हैं. वहीं, कई बार जल की तेज धारा शिवलिंग पर अर्पित कर देते हैं. यह तरीका गलत है.
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, शिव पूजा या जलाभिषेक से पूर्व व्यक्ति को स्वयं स्वच्छ और पवित्र करना चाहिए. इसके लिए आप स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
इसके बाद जल से आचमन करके स्वयं की शुद्धि करें लें. फिर शिवलिंग या शिव जी का जलाभिषेक करना चाहिए.
जलाभिषेक का अर्थ है, जल या पानी से शिव जी का अभिषेक. अभिषेक का मतलब स्नान कराने से है.
जलाभिषेक के लिए आप साफ जल, गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों के जल का उपयोग कर सकते हैं.
इसके अलावा आप चाहें तो गाय के कच्चे दूध, गन्ने के रस, तेल आदि से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं.
शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए एक साफ बर्तन ले लें. उसे पवित्र जल से भर लें. उसमें गंगाजल मिला सकते हैं. फिर शिवलिंग के पास जाएं और पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर मुख करके खड़े हो जाएं.
इसके बाद दोनों हाथों से उस बर्तन को पकड़ें और थोड़ा झुककर जल की पतली धारा धीमी गति से शिवलिंग पर गिराएं. इस बात का ध्यान रखें कि जल की धारा तीव्र गति वाली न हो.
यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.