नोएडा के हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह की साठगांठ का खुलासा हुआ है. रिटायर आईएएस अफसर मोहिंदर सिंह के पास अरबों की संपत्ति पाई गई है.
ईडी सूत्रों के मुताबिक, मोहिंदर सिंह की अलमारी और बेड से मिले हीरे और सोने के जेवरात के बारे में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.
ईडी के अफसरों ने नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह से करीब 15 घंटे पूछताछ की. ईडी का दावा है कि इतने हीरे किसी और सरकारी अफसर के घर से अभी तक नहीं मिले हैं.
ईडी सूत्रों के मुताबिक, मोहिंदर सिंह के घर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि लोटस प्रोजेक्ट के संचालकों से उनकी साठगांठ थी.
ईडी का कहना है कि मोहिंदर सिंह के घर से मिले दस्तावेजों से कई अफसरों की पोल खुलेगी. लोटस प्रोजेक्ट में इनकी भी मिलीभगत हो सकती है.
मोहिंदर सिंह के आवास पर मिले दस्तावेजों से साल 2011 में नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात अन्य अफसरों का भी ब्योरा जुटाया जा रहा है.
ईडी के छापेमारी मोहिंदर सिंह के घर से इतनी संपत्ति का खुलासा होने के बाद से अब स्मारक घोटाले की भी जांच तेज हो गई है.
बताया गया कि स्मारक घोटाले की जांच शुरू होने के बाद मोहिंदर सिंह आस्ट्रेलिया चले गए थे. दो साल पहले ही भारत लौटे हैं.
इससे पहले मोहिंदर सिंह के करीबी रहे आदित्य के घर से भी छापेमारी के दौरान करीब 5 करोड़ रुपये के हीरे बरामद हुए थे.
ईडी यह भी जांच कर रही है कि मोहिंदर सिंह और आदित्य के घर पर मिले हीरे कहां से लिए गए हैं. उनके करीबियों पर नजर है.
बता दें कि विजिलेंस बसपा शासनकाल में लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में बने स्मारक व पार्कों में लगभग 14 अरब के घोटाले की जांच कर रहा है.
विजिलेंस ने जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में स्मारक घोटाले में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 आरोपितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी.
वहीं, लोटस-300 प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में ईडी की पड़ताल पूरी हो गई है. ईडी मेरठ के शारदा एक्सपोट्स के गुप्ता बंधुओं की भी जांच कर रहा है.
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सरदार मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और चेयरमैन रहे. वह यूपी कैडर के आईएएस हैं. मोहिंदर सिंह सुपरटेक ट्विन टावर मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं.
इन काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.