उमस और गर्मी के समय में किसको नैनीताल जैसे हिल स्टेशन नहीं जाने का मन करता है. नैनीताल की नैनी लेक के नाजारे और हाथों में गर्म-गर्म चाय हो तो मजा ही आ जाए.
वैसे तो नैनीताल में बहुत कुछ है घूमने के लिए जैसे नैनी पीक, सातताल, भीमताल, नैनी लेक, टिफिन टॉप और भी ना जाने क्या-क्या.
लेकिन टिफिन टॉप में स्थित डोरोथी सीट भारी बारिश के चलते ढह गई. दूर-दूर से लोग यहां खड़े होकर नैनीताल की खूबसूरत के नजारों देखते थे.
पिछले दो सालों में भूस्खलन और बारिश की वजह से इसका अस्तित्व खतरें में पड़ गया था और 6 अगस्त को रात 11 बजे भारी बारिश के बीच डोरोथी सीट भूस्खलन की वजह से खत्म हो गया.
डोरोथी सीट बस स्टैंड से 5.4 किमी की दूरी पर है. वैसे तो यह नि:शुल्क हैं हालांकि मॉल रोड से घुड़सवारी का किराया लगभग 500 से 700 रुपये है.
कुछ सालों से यहां गहरी दरारें आ गई थी लेकिन इसको बचाने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया. ये जगह नैनीताल से लगभग 3 किमी दूर है
टिफ़िन टॉप पर डोरोथी सीट का निर्माण ब्रिटिश सेना के अधिकारी ने अपनी पत्नी डोरोथी केली की याद में किया था. जिसका इंग्लैंड जाते समय निधन हो गया था. वो जब भी नैनीताल आती तो इस जगह पर घंटों बैठकर पेंटिंग किया करती थीं.
डोरोथी सीट पर भूस्खलन की खबर ने पूरे नैनीताल में हड़कंप मचा दिया. बड़े-बड़े पत्थर गिरने से डर का माहौल बन गया है. सरकार ने इसकी हालत देखते हुए यहां पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाई थी.
डोरोथी सीट नैनी लेक से 2290 मीटर ऊंचाई पर है. यहां से नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों को नज़ारे दिखाई देता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
डीएम वंदना सिंह ने बताया की डोरोथी सीट नैनीताल के ऐतिहासिक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन इस घटना के बाद इसके अस्तित्व पर सवाल खड़े हो गए है.