गिरिराज की नगरी गोवर्धन में हर साल गुरु पूर्णिमा पर मुड़िया मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले का इतिहास चैतन्य महाप्रभु के शिष्य सनातन गोस्वामी से जुड़ा है.
कहा जाता है कि गोवर्धन में सनातन गोस्वामी रहते थे. वह रोज गिरिराजजी की परिक्रमा करते थे. 464 वर्ष पूर्व आषाढ़ पूर्णिमा संवत 1615 में वह ब्रह्मलीन हो गए थे.
इसके बाद उनके शिष्य ने सिर मुंडवाकर उनकी पार्थिव देह को गिरिराजजी की परिक्रमा कराई थी. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त भी शामिल हुए थे. इसके बाद से यहां मेले की परंपरा शुरू हो गई.
यही वजह है कि इस मेले का नाम मुड़िया पड़ गया. इस मेले की प्रसिद्धि हर साल बढ़ती जा रही है.
अब तो कुंभ के बाद इसे यूपी का दूसरा सबसे बड़ा मेला कहा जाता है. अनुमान है कि एक करोड़ भक्त इस मेले में आएंगे.
इस बार यह मेला 17 से 22 जुलाई तक चलेगा. मथुरा और अलीगढ़ मंडल से पीएसी आदि के जवान बुला लिए गए हैं.
भक्तों की सुरक्षा के लिए रोडवेज की ओर से अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं. मथुरा, आगरा समेत कई जिलों से मुड़िया मेले के लिए अतिरिक्त बसें चलाई गई है.
वहीं, रेलवे ने भी अतिरिक्त ट्रेनों के फेरों की व्यवस्था की है. नॉर्थ सेंट्रल और ईस्ट सेंट्रल रेलवे द्वारा रेलगाड़ी का भी संचालन किया जाएगा.
पूरे मेला क्षेत्र को नो सुपर जोन, 30 जोन, 62 सेक्टर में विभाजित किया गया है. 35 अस्थाई पुलिस चौकी, 30 स्वास्थ्य केंद्र, सीसीटीवी कैमरे के साथ-साथ 35 वॉच टावर से भी निगरानी रखी जाएगी.
2000 स्वास्थ्य कर्मी भी तैनात किए गए है. 30 एंबुलेंस वहां भी लगाए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र में पॉलिथीन का प्रयोग न करने की अपील की गई है.