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इन जगहों की रामलीला है मशहूर, PM के संसदीय क्षेत्र में तो महीने भर सजता है स्टेज, विदेशों में भी 'राम'

नवरात्रि यूं तो वर्ष में दो बार आती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि का अपना महत्व है. इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत और खास तौर पर उत्तर प्रदेश और आस-पास के इलाके में इस दौरान रामलीला का महत्व सबसे ज्यादा होता है.

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ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले 16वीं सदी में वाराणसी में रामलीला हुई थी. कहा जाता है काशी नरेश ने गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस को पूरा करने के बाद रामनगर में रामलीला कराने का संकल्प किया था. जिसके बाद गोस्वामी तुलसीदास के शिष्यों ने पहली बार इसका मंचन किया. 

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आज के दौर में पूरे देश-विदेश में रामलीला का आयोजन होता है लेकिन हम आपको बताते हैं, उन सबसे मशहूर रामलीला मंचन के बारे में-जो अपना नाम रखते हैं.

अयोध्या

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अयोध्या

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था. भारत के कई हिस्सों से लोग रामलीला का लुत्फ उठाने के लिए अयोध्या ही जाते हैं. इस बार इस रामलीला में रविकिशन, मनोज तिवारी जैसे सितारों का जमावड़ा होगा. दिल्ली की मशहूर लव कुश रामलीला का आयोजन इस बार अयोध्या में किया जा रहा है. जिसमें नेता-अभिनेता तक भाग लेते हैं. 

 

दिल्ली

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दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में रामलीला का आयोजन 180 साल पहले मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर ने कराई थी.  इस रामलीला का आयोजन दिल्ली के रामलीला मैदान  में किया जाता है. ये देश की सबसे मशहूर रामलीला है.  

वाराणसी

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वाराणसी

पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी की रामलीला 31 दिन तक चलती है. रामलीला की शुरुआत 475 साल पहले चित्रकूट मैदान में शुरू की गई थी. नदी किनारे होने वाली इस रामलीला को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग आते हैं.

लखनऊ

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लखनऊ

नवाबों की नगरी लखनऊ का काफी पुराना शहर है. यहां के नवाबी कल्चर के अलावा लखनऊ का रामलीला भी बहुत मशहूर है. लखनऊ में रामलीला असफ उद-दौला द्वारा बनाई गई ऐशबाग में आयोजित की जाती है. इतिहास में झांके तो यहां रामलीला की शुरुआत अवध के राजाओं द्वारा 500 साल पहले की गई थी और आज भी लोग यहां की रामलीला को देखने के लिए दूर दूर से आते हैं.

थाइलैंड

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थाइलैंड

थाईलैंड में रामलीला को 'रामकेयन' नाम से जाना जाता है. यहां यह केवल शारदीय नवरात्र का आयोजन न होकर किसी भी विशेष अवसर पर मतलब पूरे साल कहीं भी कोई भी पारिश्रमिक देकर विवाह, जन्मदिन या किसी अन्य आयोजन पर भी मंडली बुलाकर इसका आयोजन करा सकता है. यहां रामकेयन की कहानी तो रामायण वाली ही रहती है लेकिन वेशभूषा व पात्रों के नामों में कुछ बदलाव होता है.  

इंडोनेशिया

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इंडोनेशिया

90 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया में रामायण को रामायण ककविन (काव्य) कहते हैं. यहां भी पूरे साल रामलीला का मंचन किया जाता है, किसी एक समय विशेष पर नहीं. रामायण के चरित्रों का इस्तेमाल वे स्कूलों में शिक्षा देने के लिए भी करते हैं. इस बाबत इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो ने कहा था- 'इस्लाम हमारा धर्म है और रामायण हमारी संस्कृति'

कंबोडिया

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कंबोडिया

कंबोडिया में भी सामाजिक उत्सवों के दौरान इस लोकप्रिय महाकाव्य का मंचन किया जाता है. वहां ऊंचे कुल के सदस्य भी रामलीला के पात्रों की भूमिका करने को लालायित रहते हैं. यहां के राजा नरेश नरोत्तम सिंहानुक की पुत्री राजकुमारी फुप्फा को रामलीला ने इतना लोकप्रिय बना दिया कि उन्हें ही मां सीता के तौर पर चित्रित किया जाने लगा.

 

त्रिनिदाद, सूरीनाम, गोआना और मॉरिशस

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त्रिनिदाद, सूरीनाम, गोआना और मॉरिशस

रामलीला का मंचन विदेश में स्थानीय भाषाओं में तो होता ही है लेकिन पिछले कुछ सालों से अयोध्या शोध संस्थान की मंडली विदेश में अवधी शैली की रामलीला  2017 में फिजी, 2018 में तीन कैरेबियाई देशों त्रिनिदाद, सूरीनाम तथा गोआना में तथा अगस्त 2019 में मॉरिशस में मंचित की.  इस दौरान मंडली ने विदेश की रामलीला भी देखी, वे नृत्य नाटिका की तरह मंचित करते हैं.