1 मार्च, 1999 को जन्मे पुष्पेंद्र तीन बड़ी बहनों के बाद सबसे छोटे हैं. वेल्हम ब्वॉयज स्कूल देहरादून में तीसरी से बारहवीं तक पढ़ाई के बाद ग्रेजुएशन करने वह लंदन चले गए.
पुष्पेंद्र सरोज ने लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से बीएससी अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट की पढ़ाई 2019 में पूरी की. इसके बाद पिता की सियासत में हाथ बंटाने प्रयागराज आ गए.
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्र (25 साल) पूरी करते ही पुष्पेंद्र को कौशांबी लोकसभा से प्रत्याशी बना दिया है. 2019 में कौशांबी लोकसभा सीट सपा यहां से हार गई थी. तब पुष्पेंद्र के पिता इंद्रजीत मैदान में थे.
इस चुनाव में पुष्पेंद्र के सामने पिछले चुनाव में पिता को मिली हार को जीत में बदलकर अपनी सियासी दस्तक को यादगार बनाने की बड़ी चुनौती थी. जिसे उन्होंने पूरा कर दिखाया.
पुष्पेंद्र सरोज ने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के दो बार के सांसद विनोद सोनकर को 1 लाख से ज्यादा वोटों से पराजित कर परचम लहराया. उनको कुल 5 लाख 9 हजार 787 वोट मिले.
सांसद पुष्पेंद्र का मानना है कि राजनीति में उनकी इंट्री भले ही जल्दी हो रही हो लेकिन राजनीतिक संस्कार उनको बचपन से ही मिले हैं. उनके पिता सियासत में पहले से सक्रिय रहे हैं, जिनका काम देखते हुए बड़े हुए. अब पिता के काम को आगे बढ़ाएंगे.
पुष्पेंद्र का मानना है कि देश में लोग महंगाई और युवाओं में बेरोजगारी है. उनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा है. वह इन जरूरी मुद्दों को संसद में उठाने का काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि युवाओं का राजनीति में आना बेहद जरूरी है. सांसद बनने के बाद उनका टारगेट होगा कि सभी को न्याय और सम्मान मिले. वह बिजली, पानी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के मुद्दे पर काम कर सकें.
कौशांबी के नवनिर्वाचित सांसद का कहना है कि उनको लंदन की स्वास्थ्य सेवा, क्वालिटी एजुकेशन, लोगों के अधिकार और स्वच्छता ने खासा प्रभावित किया है. वह इसे अपने यहां लागू करना चाहते हैं.
पुष्पेंद्र सरोज के पिता इंद्रजीत सरोज कौशांबी की मंझनपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव है. उन्होंने बसपा से राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. 1996 में वह पहली बार विधायक बने और 2012 तक लगातर जीतते रहे. बसपा सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री भी रहे.