मेडिकल साइंस के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि के समय जलवायु में बदलाव होता है. इस समय कई नए बैक्टीरिया पैदा होते हैं.
बदलते मौसम में हमारा शरीर लड़ने के लिए तैयार नहीं रहता है. यही वजह है कि इस मौसम में लोगों में बीमारियां भी फैलती हैं.
शारदीय नवरात्रि अक्टूबर या नवबंर महीने में आती है, जो शरद ऋतु से सर्दी तक का समय होता है. इस दौरान हमारे शरीर में इम्यूनिटी की कमी भी होने लगती है.
सर्दी के दस्तक देने से पहले शारदीय नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट हो जाती है.
इसका प्रमुख कारण यह है कि शारदीय नवरात्रि पर नौ दिन लोग सात्विक भोजन का इस्तेमाल करते हैं.
मेडिकल साइंस के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि में सात्विक भोजन करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है.
इसके साथ ही डिटॉक्सीफिकेशन भी होता है. शारदीय नवरात्रि के दौरान व्रत रखने का वैज्ञानिक कारण आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करना है.
हफ्ते में एक बार हल्का भोजन करने से पांचन तंत्र को आराम मिलता है. व्रत आंतों को साफ करने और उसको मजबूत करने में मदद करता है.
मधुमेह रोगियों को व्रत रखने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. यही बीपी के मरीजों को भी करना चाहिए.
बीपी के मरीजों को व्रत रखने से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूर ले लेनी चाहिए.
ज्यादा व्यस्त रहने वाले लोग भी नवरात्रि के शुरुआत और आखिर में उपवास रख सकते हैं. ऐसा करने से उनका पाचन तंत्र काफी हद तक ठीक हो जाता है.