UP Nikay Chunav 2022: सहारनपुर में नगर निकाय का चुनाव इस बार बड़ा ही रोमांचक होने वाला है. क्योंकि करोड़पति उम्मीदवारों को एक बार फिर एक जलेबी वाला टक्कर देने के लिए तैयार है.
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नीना जैन/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का शंखनाद होने में भले ही समय हो लेकिन भावी प्रत्याशियों ने अभी से चुनाव को लेकर कमर कस ली है. इसी में शामिल हैं सहारनपुर के असगर परवेज, जिनमें चुनाव लड़ने का जुनून ऐसा है कि पिछले 4 चुनाव हारने के बाद एक बार फिर निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
सहारनपुर में नगर निकाय का चुनाव इस बार बड़ा ही रोमांचक होने वाला है. क्योंकि करोड़पति उम्मीदवारों को एक बार फिर एक जलेबी वाला टक्कर देने के लिए तैयार है. रोज करीब 200 रुपये कमाने वाला यह जलेबी वाला करोड़पतियों को टक्कर देने की तैयारी में है. उसका कहना है उसका हौसला बुलंद है और इसी हौसले के चलते यह पैसा उसके लिए कोई मायने नहीं रखता है उसे लोगों की खिदमत करनी है.
ऐसा नहीं है कि असगर परवेज पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हों, इससे पहले भी चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार दूसरे नंबर पर रहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक ना एक दिन उन्हें सफलता जरूर मिलेगी और यह दूसरा नंबर पहले नंबर में तब्दील हो जाएगा. 1990 में पहली बार sector-30a सभासद का चुनाव लड़ा, पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री दिवंगत काजी रशीद मसूद ने उन्हें टिकट दिया था. तब चुनाव में कुल 1000 वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे, वर्ष 2000 में वार्ड नंबर 55 से चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी दूसरे नंबर पर रहे जीत हासिल नहीं हुई.
उसके बाद नगरपालिका का सहारनपुर में चुनाव नहीं हुआ. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2009 में नगर निगम की घोषणा की और 2017 में चुनाव हुआ और उन्होंने भी 2017 में नगर निगम का चुनाव लड़ एक बार फिर किस्मत आजमाई और वार्ड नंबर 66 से पार्षद का चुनाव लड़ा और उनका मुकाबला करोड़पति पार्षद गुलशेर से हुआ और एक बार फिर वह दूसरे नंबर पर रहे, उनको 1479 वोट मिले.
असगर परवेज जलेबी और पकौड़ी की रेडी लगाते हैं, जहां दूसरे प्रत्याशी पैसे की चमक-दमक से चुनाव लड़ते हैं. वहीं, असगर सादगी से चुनाव लड़ते हैं और पूरी तरह से अपना प्रचार भी करते हैं. वह घर-घर जाकर अपने बारे में बताते हैं और लोगों से अपील करते हैं कि वह उनको ही वोट दें. असगर परवेज के हाथ जितनी तेजी से जलेबी और पकौड़े बनाते हैं, उससे कहीं ज्यादा तेजी से उनकी जुबां राजनीतिक किस्से सुनाती है. जिससे लोगों का मन उनकी रेडी से हटने का ही नहीं करता. एक के बाद एक किस्से उनसे सुनने को मिलते हैं.