OBC कमीशन आरक्षण पर 2-3 माह में देगा रिपोर्ट, यूपी नगर निकाय चुनाव की तारीख पर बड़ा अपडेट आया.
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UP Nagar Nikay Chunav 2022 : मयूर शुक्ला /लखनऊ : नगर निकाय चुनाव को लेकर गठित ओबीसी आयोग की शनिवार को बैठक हुई. रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय OBC आयोग की ये बैठक हुई. इसमें चोब सिंह वर्मा (Retd. IAS), महेंद्र कुमार (Retd.IAS), संतोष कुमार विश्वकर्मा (भूतपूर्व विधि परामर्शी),बृजेश कुमार सोनी के अलावा पूर्व अपर विधि परामर्शी और अपर जिला जज ने बैठक की. राम अवतार सिंह ने कहा, आरक्षण सर्वे को लेकर क्या कार्यप्रणाली अपनाई जाए इस पर आज चर्चा हुई है. 2.5 से 3 महीने में रिपोर्ट सौंपनी है, जल्द जल्द से काम पूरा हो इसकी कोशिश करेंगे.सभी जिलों में जाकर सर्वे करेंगे और सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग की मांग करेंगे. जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी से डाटा मांगेंगे.रिपोर्ट सौंपने में 5 से 6 महीने लग सकते हैं.
ओबीसी आयोग के अध्यक्ष राम अवतार सिंह ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिलाने को लेकर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया. इसकी शनिवार को पहली बैठक हुई. आयोग के चेयरमैन रामअवतार सिंह ने कहा कि लगभग 3 महीने सर्वे करने में लग जाएंगे. रिपोर्ट 5 से 6 महीने में सौंपी जाएगी. प्रदेश के सभी जिलों में जाकर सर्वे करेंगे. सर्वेक्षण में ट्रिपल टेस्ट के मानकों का ध्यान रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार ही आगे बढ़ा जाएगा. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, कर्नाटक औऱ महाराष्ट्र में भी इसी तरह स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर विवाद खड़ा हुआ था.
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए अन्य राज्यों ने भी जो मानक अपनाए हैं और उनको लेकर जो सर्वे करवाया है. उनसे भी मदद लेंगे और उसी के आधार पर हम उत्तर प्रदेश में ओबीसी जातियों का सर्वे करेंगे. ओबीसी में यादव, निषाद, लोध, वर्मा जैसी दो दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी जातियां उत्तर प्रदेश में हैं. यूपी में ओबीसी का कुल जनाधार 54 फीसदी है. ऐसे में सर्वे रिपोर्ट के बाद नगर निकाय चुनाव के आरक्षण में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है.
नगर निकाय चुनाव में इस बार 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 545 नगर पंचायतों में चुनाव होना था. नगरपालिका में 45 और नगर पंचायतों में 147 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की गई थीं. लेकिन इस आरक्षण के खिलाफ कई याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गईं. इसमें रैपिड टेस्ट के आधार पर दिए गए आरक्षण पर सवाल उठाए गए. हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले को आरक्षण के लिए न अपनाए जाने पर सवाल उठाए. लंबे समय से रैपिड टेस्ट के जरिये हो रहे चुनाव के तर्क को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने सरकार औऱ निर्वाचन आय़ोग उत्तर प्रदेश से ओबीसी आरक्षण की सीटों को सामान्य मानकर 31 जनवरी तक चुनाव कराने या फिर सर्वेक्षण कार्य पूरा कर ओबीसी सीटें आरक्षित करने को कहा.
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