पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नवाबों की नगरी कहे जाने वाले लखनऊ से खास रिश्ता रहा है. वह 1991 से 2004 तक यहां से लगातर जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे. राजनीति से इतर अटल जी खाने-पीने के भी शौकीन थे.
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से बेहद खास नाता रहा. लखनऊ में आने पर यहां की ठंडाई से लेकर चाट का स्वाद लेना वह कभी नहीं भूलते थे.
वह जब भी लखनऊ आते थे तो मलाई गिलौरी या मलाई पान, ठंडाई और चाट खाना खूब पसंद करते थे. आज हम आपको बताएंगे कि अटल जी को कहां की मिठाई पसंद थी.
चौक में राम आसरे की मलाई गिलौरी अटल जी को खूब पसंद थी. वह जब भी लखनऊ आते इसे खाना नहीं भूलते. प्रधानमंत्री रहते भी वह इसे खाने आते थे. यही नहीं अपने साथ के लोगों को भी खूब खिलाते.
चौक के चौराहे पर राजा की ठंडाई का स्वाद भी अटल बिहारी वायपेयी को खूब भाता था. उनको साधारण केसर वाली ठंडाई बहुत पसंद थी.
चौक में टिल्लू गुरु दीक्षित और लाटूस रोड की पंडित राम नारायण तिवारी की चाट के भी अटल जी दीवाने थे. दोनों दुकानों की चाट मनपसंद तरीके से बनवाकर खाते थे.
उनको खट्टी चटनी और नींबू के साथ चाट खाना पसंद था. इन सबकी जिम्मेदारी लालजी टंडन के हाथों में होती थी.
अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ के समय से लखनऊ को कर्मभूमि बनाया. यहां के कई ऐसे लोग हैं, जिनके घरों में चर्चा और कार्यक्रमों में शामिल हुआ करते थे.
लखनऊ के लोगों ने उनको जिताकर संसद भेजा और वह प्रधानमंत्री बने. वह हमेशा कहते कि मैं लखनऊ का था, लखनऊ का हूं और लखनऊ का ही रहूंगा.
1991 में अटल जी ने विदिशा और लखनऊ दो सीटों से चुनाव लड़ा. दोनों जगह से उनको जीत मिली लेकिन उन्होंने विदिशा सीट छोड़कर लखनऊ को पास रखा.
इसके बाद 1996, 1998, 1999, 2004 में भी लखनऊ से जीते. वह तीन बार प्रधानमंत्री बने और हर बार लखनऊ से संसद पहुंचे.