आज हम आपको बताएंगे अमेठी लोकसभा की अनसुने किस्से. भारत की सबसे चर्चित लोकसभा सीट पर बड़े उलटफेर हुए हैं. इस सीट से दिग्गजों को कई बार मात खानी पड़ी है. साथ ही कुछ सांसदों की कार्यकाल के दौरान मौत भी हुई है.
सन ,1967 में आम चुनाव में पहली बार अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इस नई सीट पर कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी को अमेठी लोकसभा के पहले सांसद बने.
गांधी परिवार की गढ़ कही जाने वाली अमेठी सीट पर 1971 में हुए चुनाव में फिर से कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी अमेठी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए.
1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप ने हज़ार से भी ज़्यादा वोटों से संजय गांधी को मात दी थी.
1980 के चुनावों में अमेठी के लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने चुनाव लड़ा. अमेठी सीट को जीतकर पहली बार संजय गांधी लोकसभा में पहुंचे थे.
संजय गांधी के मृत्यु के बाद राजीव और मेनका ने भी इस सीट से चुनाव के सफर की शुरुआत की थी. 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी सांसद चुने गए. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अमेठी से एक बार फिर राजीव गांधी प्रत्याशी बने.
1984 में लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ इनके छोटे भाई की पत्नी मेनका गांधी मैदान में उतरी. अमेठी में हुए चुनाव में मेनका को राजीव गांधी के हाथ करारी हार मिली थी .
महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी इस लोकसभा क्षेत्र से आमने सामने हो चुके है. 1989 में राजीव गांधी ने जनता दल के प्रत्याशी राजमोहन गांधी को हराया.
2004 में अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी पहली बार सांसद चुने गए. इस सीट से 2009 और 2014 में जीत हासिल की. अमेठी लोकसभा सीट से सबसे लंबे समय तक सांसद राहुल गांधी रह चुके है.
2019 में हुए लेकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी सीट से हार गए. इस सीट से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया.अमेठी सीट से समाजवादी पार्टी ने आज तक कभी उम्मीदवार नहीं उतारा है.
अमेठी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीट है. जगदीशपुर, गौरीगंज, अमेठी, तिलोई अमेठी जिले की है. जबकि एक सलोन सीट रायबरेली जिले में पड़ती है. इन पांच विधानसभा सीट में चार सीट बीजेपी को जीत मिली है.