महिला नागा संन्यासियों के लिए कठिन पंच संस्कारों की परीक्षा, कठोर तप के साथ 100 महिलाओं को महाकुंभ में मिली दीक्षा
Mahila Naga Sadhu: महिला नागा साधु बनने का रास्ता बहुत कठिन होता है. महिला नागा साधु बनने के लिए सांसरिक मोह माया को त्याग कर एक अलग जीवन जीना होता है. ऐसे में महिला नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया के बारे में हर कोई जानना चाहता है.
प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, इस समय संगम नगरी प्रयाग में साधु-संतों सहित करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं. महाकुंभ में स्नान के लिए आए लोगों के लिए आस्था का ये पर्व बहुत अधिक महत्व रखता है.
नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया
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देश-विदेश से आए लोगों के बीच जो सबसे आकर्षण का केंद्र है वो नागा साधु हैं. आपको बता दें कि नागा साधुओं की दुनिया काफी रहस्यमयी होती है, जिसे जनने की हर व्यक्ति में इच्छा होती है. लेकिन पुरुष नागा साधुओं से भी ज्यादा लोगों में महिला नागा साधुओं के बारे में लोग जानना चाहते हैं. आखिर कैसे बनती हैं महिलाएं नागा साधु और क्या-क्या होते हैं इनके नियम. आइए जानते हैं.
महिला नागा साधु
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महिला नागा साधु बनने का रास्ता बहुत कठिन होता है. महिला नागा साधु बनने के लिए सांसरिक मोह माया त्यागनी होती है.उनको एक अलग जीवन जीना होता है. ऐसे में महिला नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया के बारे में हर कोई जानना चाहता है.
कई कठिनाईयां
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जिस प्रकार नागा साधु महाकुंभ में कठोर तपस्या व साधना करते हैं उसी प्रकार महाकुंभ के दौरान महिला नागा साधुओं को भी कई कठिनाईयों व नियमों का पालन करना पड़ता है. महिला नागा साधुओं को भी कई कड़े नियमों की परीक्षाओं को देना पड़ता है और फिर उनका ये तप महाकुंभ में पूर्ण होता है.
दीक्षा के पहले महिला के पंच संस्कार
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महिला नागा संन्यासिनियों को दीक्षा के पहले लंबे इम्तेहान से गुजरना होता है. संयासिनी अखाड़े में दीक्षा संस्कार का हिस्सा बनने के पहले महिला के पंच संस्कार किए जाते हैं. जिसमें उसे पंच गुरु से दीक्षा लेनी होती है. पंच संस्कार के बाद छठवां गुरु कुंभ के समय उसे नागा संयासिनी की दीक्षा देता है.
जानते हैं क्या है पंच संस्कार
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अखाड़े की परंपरा के अनुसार ही महिलाओं को नागा सन्यासी की दीक्षा दी जाती है. पंच संस्कार से इसकी शुरुआत होती है. पांच गुरु यह संस्कार करते हैं.
पंच गुरु ये करते हैं काम
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शिखा गुरु का काम शिखा तैयार करना है. वह महिला को शिखा देते हैं. दूसरे गुरु कंठी पहनाते हैं जिन्हें कंठी गुरु कहा जाता है. तीसरा गुरु भभूत गुरु होता हैं. चौथा गुरु लंगोटी गुरु होता है जो लंगोटी देता है और पांचवां गुरु शाखा गुरु होता है जो मुख्य होता है. ये पांच गुरु ही पांच संस्कार पूरा कराते हैं.
महाकुंभ में महिला नागा संन्यासी संस्कार
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इसके बाद नागा बनने की चाह रखने वाली महिलाओं को शाखा गुरु बनाना होता है. उन्हीं के अधीन रहकर दो-तीन साल सेवा करनी होती है. साधना और शास्त्रों का अध्ययन करना और गुरु की सेवा होती है. इसका अगला चरण महाकुंभ में शुरू होता है जहां उसे पहले अवधूतानी बनाते हैं.
अवधूतानी के लिए मुंडन संस्कार
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महिला को अवधूतानी बनाने के लिए सुबह चार बजे उठाया जाता है. नित्य कर्म और साधना के बाद शाखा गुरु उसे लेकर नदी किनारे उसका मुंडन संस्कार कराकर नदी में स्नान के बाद उसका पिंडदान कराते हैं. उसे पौने तीन मीटर लंबे एक कपड़े पहनने के लिए दिया जाता है.इस वस्त्र को गंती कहा जाता है. महिला को बिना कुछ खाए पिए दंड, कमंडल और उसमें जल लेकर अखाड़े में धर्म ध्वजा के नीचे रहना पड़ता है.
108 डुबकी
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अगली सुबह अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे जाप मंत्र देते हैं, साधु परम्परा का ज्ञान कराते हैं. इसके बाद अवधूतानी गंगा में स्नान करती हैं और 108 डुबकी लगाकर अपनी गंती नदी में त्याग देती है.
इस प्रक्रिया के बाद बनती हैं नागा सन्यासी
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वहीं पर अखाड़े की कोतवाल उन्हें एक कंबल देते हैं जिसे लपेटकर वह शाखा गुरु के पास अखाड़े में आकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं. फिर भगवा पहनकर वह पूर्ण नागा संन्यासी बन जाती हैं. जिसमें सामाजिक मर्यादा के तहत उसे भगवा वस्त्र पहनने को दिया जाता है.
महाकुंभ में अखाड़ों में नागा सन्यासी की भर्ती
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प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों में नागा सन्यासी की भर्ती चल रही है. इसके अंतर्गत संन्यास धारण कर अखाड़े का सदस्य होने का दीक्षा संस्कार शुरू हो चुका है. जूना अखाड़े से इसकी शुरुआत हुई है. जिसमें पहले दिन 1500 अवधूत नागा संन्यासी बनाए गए.महिला नागा संन्यासी की दीक्षा भी है.
डिस्क्लेमर
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लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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