प्रयागराज महाकुंभ में सनातन धर्म के 13 अखाड़े सबसे खास मेहमान हैं. ये अखाड़े अपनी धर्म ध्वजा के जरिए पहचाने जाते हैं. शाही स्नान से लेकर महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश तक, उनकी धर्म ध्वजा उनकी प्रतिष्ठा और मान का प्रतीक होती है.
धर्म ध्वजा दो शब्दों से मिलकर बना है: 'धर्म' और 'ध्वजा'. ध्वजा का अर्थ है गतिशीलता और प्रवाहमानता, जो अखाड़े की पहचान और वर्चस्व का प्रतीक होती है. इसे ऊंचाई पर स्थापित करना उसके महत्व को दर्शाता है.
सनातन धर्म के 13 अखाड़ों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े. हर अखाड़े की अपनी अनूठी धर्म ध्वजा होती है, जो उनकी मान्यताओं और परंपराओं का प्रतीक है.
शैव अखाड़ों की धर्म ध्वजा भगवा रंग की होती है. 52 हाथ लंबे ध्वजदंड पर भगवा पताका लगाई जाती है. ध्वजदंड में 52 ब्रह्म गांठ होती हैं, जो अखाड़े की 52 मढ़ियों का प्रतीक हैं.
भगवा रंग सनातन का प्रतीक माना जाता है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वैष्णव अखाड़ों की धर्म ध्वजा का रंग भगवा नहीं होता. इनमें श्री पंच अनी अखाड़े की ध्वजा लाल, श्री निर्मोही अनी की सफेद, और श्री दिगंबर अनी की पंचरंगी होती है.
शैव अखाड़ों के भगवा रंग को त्याग, तपस्या और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. यह उनके शिव भक्ति के मार्ग को दर्शाता है.
श्री पंच अनी अखाड़े की लाल ध्वजा भगवान हनुमान का प्रतीक है. महंतों के अनुसार, लाल रंग शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. यह रंग भगवान हनुमान की भक्ति का भी प्रतीक है.
श्री निर्मोही अनी अखाड़े की सफेद धर्म ध्वजा शांति और शुभता का प्रतीक है. इसे वैष्णव परंपरा की पवित्रता से जोड़ा जाता है.
श्री दिगंबर अनी अखाड़े की पंचरंगी ध्वजा पंच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—का प्रतीक है। यह अखाड़े की व्यापक दृष्टि और संतुलन को दर्शाती है.
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