13 दिन दिन सोमवार को पौष पूर्णिमा से महाकुंभ 2025 का आगाज हो रहा है. शाही स्नान के बाद महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी. पौष पूर्णिमा पर गंगा-यमुना में स्नान और दान का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने का भी महत्व है.
मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन दान पुण्य और योग ध्यान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है.
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. साथ ही जरुरमंदों को दान पुण्य करना चाहिए. ऐसे में महाकुंभ में गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी. सभी पाप धुल जाएंगे.
पौष पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 24 मिनट तक शुभ मूहुर्त है. अमृत चौघड़िया सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. शुभ चौघड़िया सुबह 9 बजकर 52 मिनट से 11 बजकर 11 मिनट तक और लाभ चौघड़िया दोपहर में 3 बजकर 7 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में दीपदान करें. पूर्णिमा के दिन दीपदान करना अत्यंत फलदायी और शुभ माना गया है. दीपदान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
महाकुंभ स्नान का तीर्थ करो एक बार , मोह-माया सब छोड़कर होगा बेड़ा पार. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
अजर अमर होने का मिलता है वरदान. प्रयागराज महाकुंभ में कर ले जो स्नान. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
गंगा यमुना सरस्वती का संगम है प्रयागराज. कुंभ करे स्नान जो पूरे होंगे काज. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
अमृत की हर बूंद हैं संगम का स्नान कुंभ में बस कर लो स्नान-ध्यान और दान. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
देवी-देवता भी पहुंच रहे करने को स्नान महाकुंभ की शुभ बेला को मत भूलो इंसान. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
पाप-दोष सब मिट जाते हैं करने से कुंभ स्नान दुख दरिद दूर कर भर जाते हैं धन-धान्य. महाकुंभ 2025 की ढेर सारी शुभकामनाएं
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु. ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा. इसका अर्थ है कि 'हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों, मेरे स्नान करने के इस जल में आप सभी पधारिए'. ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से पवित्र नदी में स्नान करने का पुण्य मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है.
गंगा पूजन के लिए कुछ और मंत्र: 'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा'; इसका अर्थ है कि 'संसाररूपी विष के नाश करने वाली एवं संतप्तों को जिलाने वाली तुझ गंगा के लिए नमस्कार'
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