UP News: झांसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुंदलों की धरती कहे जाने वाले बलवंत नगर को नाम कैसे झांसी पड़ा. आईए जानते हैं बलवंत नगर के झांसी नाम पड़ने का कारण ...
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Jhansi News: झांसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है. झांसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुंदलों की धरती कहे जाने वाले बलवंत नगर को नाम कैसे झांसी पड़ा. झांसी का नाम सुनते ही हर देशवासी को झांसी की रानी की 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण भूमिका का स्मरण हो जाता है. पढ़ते हैं झांसी के इतिहास के बारे में.
इतिहास
झांसी का शहर ओरछा का प्रतापी वीर सिंह जू देव बुन्देला ने बसाया था. 1608 ई में बलवंत नगर गांव के नजदीक एक पहाड़ी पर उन्होंने एक विशाल किले का निर्माण करा इस शहर को बसाया था. शहर का नाम झांसी पड़ने के पीछे भी एक घटना है. एक बार जब वीर सिंह जू देव बुन्देला ओरछा अपने इस नगर को देख रहे थे तो उनको कुछ धुंधला ( झाइसी ) दिखाई दे रहा था. वीर सिंह जू देव ने तब अपने एक मंत्री से ऐसा दिखने का कारण पूछा तो मंत्री ने बताया कि महाराज ये आपको नया शहर है. तो तब उसका नाम झाइसी पड़ गया. बाद में इसी शहर को झांसी के नाम से जाना जाने लगा.
सन् 1732 में झांसी के बुन्देला राजा छ्त्रसाल ने मराठा साम्राज्य से शहर के लिए मदद मांगी था. लेकिन, सन् 1734 में राजा छ्त्रसाल की मौत के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई हिस्सा मराठों को दे दिया गया था. इसके बाद मराठों ने इस शहर के विकास के लिए बहुत सारे काम किए. इनमे प्रमुख ओरछा से लोगों को ला कर झांसी में बसाने का रहा था. किंतु 19वीं सदी आते-आते मराठा शक्ति कमजोर पड़ने लगी. इसलिए तब अंग्रेजी हुकूमत और मराठाओं के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के अनुसार मराठों ने अंग्रेजी हुकूमत का प्रभुत्व स्वीकार किया. इसके कुछ समय बाद सन् 1817 में पूना में बुन्देल्खन्ड क्षेत्र के सारे अधिकार अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिए.
1857 में क्यों हुई क्रांति
1857 में झांसी में हुई क्रांति के पीछे का कारण था सन् 1853 में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो जाना. क्योंकि राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद भारत के उस समय के गवर्नल जनरल ने झांसी को पूरी तरह से अंग्रेजी अधिकार में लेने का ऐलान कर दिया. अंग्रेजी हुकूमत के इस फैसले का विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने विरोध किया. विरोध करते हुए रानी ने राजा गंगाधर राव के दत्तक पुत्र को राज्य का उत्त्तराधिकारी बनाने की बात कही. लेकिन अंग्रेजों ने रानी की यह बात मानने से मना कर दिया. इसका परिणाम यह निकला कि रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ संग्राम छेड़ दिया. जो भारत की 1857 की प्रथम स्वतन्त्र्ता संग्राम के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई.
झांसी का नेवालकर राजवंश
- नेवालकर घराणा एवं झांसी राजवंश
नाम : नेवालकर घराणा
साम्राज्य : मराठा साम्राज्य
कुल : मराठी कऱ्हाडे ब्राम्हण
कुलदेवी : श्री महालक्ष्मी अंबाबाई कोल्हापूर
कुलदेवता : श्री लक्ष्मी पल्लीनाथ रत्नागिरी
ग्राम देवता : श्री नवलाई माऊली, कोट
उपासक : महादेव, श्री गणेश
मूलनिवासी : पावस, राजापुर, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
रहिवासी : कोट रत्नागिरी, पारोला जलगांव, झांसी
जहागीरदार : पारोला, जलगांव, महाराष्ट्र
राजगद्दी : झांसी, बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश
शासन काल : 1769-1858
मूलपुरुष : रघुनाथ हरी नेवालकर प्रथम
प्रथम सूबेदार : रघुनाथराव हरी हरीपंत नेवालकर द्वि.
अंतिम सूबेदार : शिवराव हरीपंत नेवालकर
प्रथम राजा : राजा शिवराव हरीपंत नेवालकर
अंतिम राजा : राजा रामचंद्रराव नेवालकर
प्रथम महाराज : महाराज रामचंद्रराव नेवालकर
अंतिम महाराज : महाराज गंगाधरराव नेवालकर
प्रसिध्द व्यक्ती : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
झांसी की प्रमुख रानियां
1. रानी रखमाबाई
2. रानी पद्माबाई
3. रानी सखुबाई
4. महारानी लक्ष्मीबाई प्रथम
5. रानी जानकीबाई
6. आफताब बेगम उर्फ रानी लछछोबाई
7. महारानी रमाबाई
8. वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाईसाहेब (रानी लक्ष्मीबाई)
सभी रानियों में सबसे प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई थीं. रानी लक्ष्मीबाई महाराज गंगाधरराव की दुसरी पत्नी एवं विधवा थीं. वे एक साधारण ब्राम्हण परिवार से थीं. एक अच्छी पुत्री, पत्नी, मां होने का साथ-साथ वे एक कुशल महारानी, प्रजा की राजमाता, शानदार प्रशासक और एक महान क्रांतिकारी थी. रानी लक्ष्मीबाई का राज्याभिषेक 10 जून 1857 को अपने दत्तक पुत्र दामोदरराव नेवालकर के नाम पर हुआ था.
शिक्षा
झांसी शहर पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में पढ़ाई का एक मुख्य केंद्र है. यहां पर सभी विद्यालय एवं शिक्षा केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के द्वारा चलाए जाते हैं. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की स्थापना साल 1975 में हुआ थी. यह विश्वविद्यालय छात्रों को विज्ञान, कला और व्यवसायिक की शिक्षा की प्रदान करवाता है. यहां के सभी विद्यालय या तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद या फिर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद से सम्बद्ध हैं. झांसी की पुरुष साक्षरता दर 80% तो वहीं महिला साक्षरता दर 51% है. साथ में मिलाकर झांसी की कुल साक्षरता दर 66% है.
प्रमुख शिक्षण संस्थान
बुंदेलखंड महाविद्यालय, झांसी
श्री गुरु नानक खालसा इंटर कॉलेज, झांसी
श्री गुरु हर किशन डिग्री कॉलेज, झांसी
श्री एम एल पाण्डे एंग्लो वैदिक जूनियर हाईस्कूल, खाती बाबा झांसी
भानी देवी गोयल सरस्वती विद्यामन्दिर, झांसी
पं. दीनदयाल उपाध्याय विद्यापीठ बालाजी मार्ग, झांसी
रघुराज सिंह पब्लिक स्कूल, पठोरिया, दतिया गेट
मारग्रेट लीस्क मेमोरिअल इंग्लिश स्कूल एण्ड कॉलेज
राजकीय इंटर कॉलेज
बिपिन बिहारी इंटर कॉलेज
क्राइस्ट दि किंग कॉलेज
रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल
सैण्ट फ्रांसिस कान्वेंट इंटर कॉलेज
लक्ष्मी व्यायाम मंदिर
आर्य कन्या इंटर कॉलेज
कैथेड्रल स्कूल
ज्ञान स्थली पब्लिक स्कूल
हेलेन मेगडोनियल मेमोरियल कन्या इंटर कॉलेज
लोक मान्य तिलक कन्या इंटर कॉलेज
राज्य विद्युत परिषद इंटर कॉलेज
सरस्वती संस्कार केंद्र सीपरी बाजार
अभियान्त्रिकी संस्थान
महारानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी
बुन्देलखण्ड अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय
चन्द्रशेखर आज़ाद विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान
पयर्टन स्थल
- झांसी का किला
- रानी महल
- झांसी संग्रहालय
- श्री महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर, झांसी
- झांसी नरेश श्रीमंत महाराज गंगाधरराव नेवाळकर बाबासाहेब समाधी स्थल
- महाराष्ट्र श्री गणेश मंदिर, झांशी
- महाराष्ट्र गणपती मंदिर
इन सब पर्यटन स्थलों के साथ-साथ झांसी के आस-पास ओरछा, बरूआ सागर, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, खजुराहो, महोबा, टोड़ी फतेहपुर, आदि भी हैं.
कैसे पहुंचे
1. वायु मार्ग
झांसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्वालियर सबसे पास एयरपोर्ट है. इस एयरपोर्ट से दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, बैंगलोर आदि शहरों से नियमित फ्लाइट हैं.
2. रेल मार्ग
झांसी का रलवे स्टेशन वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन भारत के ज्यादातर मुख्य शहरों से कई रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है.
3. सड़क मार्ग
झांसी को राष्ट्रीय राजमार्ग 25 और 26 भारत के अनेक शहरों से जोड़ते हैं. इसके साथ उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें भी झांसी के लिए अपनी सुविधा प्रदान करती हैं.
झांसी से कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तित्व
रानी लक्ष्मीबाई
चन्द्रशेखर आज़ाद
मैथिलीशरण गुप्त
ध्यानचन्द
वृंदावनलाल वर्मा
महा कवि केशवदास
तात्या टोपे
झलकारी बाई
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