UP Ramleela History: रामलीला का समय आ चुका है देश भर में जगह जगह रामलीलाओं का आयोजन हो रहा है. रामायण की तरह रामलीलाओं का इतिहास भी कम पुराना है. आइये आपको बताते हैं देश की कुछ प्रसिद्ध और पुरानी रामलीलाओं के बारे में.
यह देश की तीसरी सबसे पुरानी रामलीला है जो 455 साल से होती आ रही है. इसमें भाग लेने वाले कलाकार अयोध्या, सीतापुर और बिहार से आते हैं.
अलीगढ़ की रामलीला का इतिहास 111 वर्ष पुराना है. इस रामलीला की शुरुआत ब्रिटिश हुकूमत के समय सन् 1912 में हुई थी. 1940 में इस रामलीला में संवाद को शामिल किया गया . पहले यह रामलीला मूक हुआ करती थी और किरदार केवल अभिनय किया करते थे.
गाजियाबाद में उस्ताद सुल्लामल और उनके शार्गिदों ने सन् 1900 पहली बार रामलीला की शुरुआत की थी. रामलीला के घंटाघर मैदान में होने वाली इस रामलीला में गाजियाबाद की संस्कृति की भी झलक देखने को मिलती है. इसमें 70 से ज्यादा कलाकार हिस्सा लेते हैं.
गोरखपुर में बर्डघाट की रामलीला को पूर्वांचल की सबसे पुरानी रामलीला कहा जाता है. सन् 1962 में पहली बार इस रामलीला का आयोजन राय कृष्ण किशोर प्रसाद द्वारा किया गया था. आय-व्यय का ब्योरा व रामलीला को और भी बड़े स्तर पर पहुंचाने के लिए वर्ष 1980 में रामलीला कमेटी का गठन किया गया.
हालांकि यह कहा जाता रहा कि सबसे पहले रामलीला अयोध्या और फिर काशी में शुरू हुई थी लेकिन लखनऊ के ऐशबाग में होने वाली रामलीला को भी सबसे पुरानी कहा जाता है. 525 साल पहले हुई रामलीला यहां आज भी होती आ रही है. इस रामलीला को गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक कहा जाता है.
फतेहपुर के खजुहा की रामलीला न केवल ऐतिहासिक है बल्कि इसकी परंपरा निराली है. यह रामलीला दशहरा के बाद रामलीला मनाने की परंपरा करीब 535 वर्षों से चली आ रही है. यहां रावण वध के बाद सरयू स्नान के साथ रावण की 13वीं में ब्रह्मभोज भी कराया जाता है.
काशी जिसे अब वाराणसी के नाम से जाना जाता है यहां के रामनगर की रामलीला करीब 200 साल पुरानी है 1830 में काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरूआत पंडित लक्ष्मी नारायण पांडे और उनके परिवार के सहयोग से शुरू की थी.
अयोध्या भगवान की रामलला की जन्मस्थली है लेकिन यहां रामलीला काशी और लखनऊ की तुलना में काफी बाद में शुरू हुई. यहां 135 साल पहले नगर के सनातनियों ने रामलीला की शुरुआत की थी. इस रामलीला में 100 से ज्यादा कलाकार हिस्सा लेते हैं.
कानपुर के जाजमऊ की रामलीला ऐतिहासिक है. बताया जाता है 1774 ई. में गोस्वामी तुलसीदास ने इस रामलीला की नींव रखी थी. हालांकि क्रांति के दौरान (1857 से 1859) तक ये रामलीला बंद रही. 1876 में 5 सदस्यों से शुरु हुई परेड रामलीला सोसाइटी में मौजूदा समय में 600 से ज्यादा सदस्य हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.