डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म एक मराठी दलित परिवार में हुआ था. वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई मुरबादकर की 14वीं और अंतिम संतान थे. उनका परिवार रत्नागिरी जिले के अंबावडे नामक गांव से था. उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ शहर में हुआ था.
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सातारा के गवर्नमेंट हाईस्कूल से प्राप्त की. स्कूल रिकॉर्ड में उनका नाम "भिवा रामजी आंबेडकर" था. उनके गांव का नाम अंबावडे था, और उनके एक ब्राह्मण शिक्षक का नाम अंबेडकर था उसी के सम्मान में भीमराव के नाम के साथ अमेंडकर जुड़ गया. 1897 में उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां उन्होंने एल्फिंस्टोन रोड स्थित गवर्नमेंट हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई की.
बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की, जिससे वे 1913 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) में अध्ययन के लिए गए. उन्होंने राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र, और कानून में महारत हासिल की. उनके पास 64 विषयों में डिग्रियां थीं.
अंबेडकर ने हिन्दी, संस्कृत, पाली, मराठी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, गुजराती, और पर्शियन जैसी 9 भाषाओं में दक्षता हासिल की. उन्होंने 21 वर्षों तक विभिन्न धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया.
जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में उनका योगदान अमूल्य है। 1956 में, उन्होंने 8,50,000 समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया। महान बौद्ध भिक्षु महंत वीर चंद्रमणी ने उन्हें "आधुनिक युग का बुद्ध" कहा.
भारतीय ध्वज में अशोक चक्र को शामिल करने का श्रेय डॉ. अंबेडकर को जाता है. यह प्रतीक समतावादी और न्यायपूर्ण समाज का परिचायक है.
26 नवंबर 1949 को डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता में रचित संविधान को स्वीकृति मिली. उनके नेतृत्व में संविधान के 315 अनुच्छेद तैयार हुए, जिससे भारत एक लोकतांत्रिक और समतावादी राष्ट्र बना.
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी, शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन और भारतीय रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया. ये संगठन समाज के वंचित वर्गों की आवाज बनकर उभरे.
डॉ. अंबेडकर मधुमेह और दृष्टि समस्याओं से जूझते रहे. अपनी आखिरी पांडुलिपि 'बुद्ध और उनके धम्म' पूरी करने के तीन दिन बाद, 6 दिसंबर 1956 को, दिल्ली में नींद के दौरान उनका निधन हो गया.
मुंबई स्थित चैत्यभूमि, डॉ. अंबेडकर की समाधि स्थल है. हर साल 6 दिसंबर को "महापरिनिर्वाण दिवस" के रूप में मनाया जाता है. 1990 में उन्हें भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया.
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