राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1929 में हरदोई आए थे. उन्होंने यहां पर एक बैठक की थी. इसमें महिलाएं बापू से इतना प्रभावित हुई थी कि आजादी की लड़ाई के लिए अपने आभूषण उतार कर दे दिए थे. गांधी ने खुद कहा था कि हरदोई से जितना सहयोग मिला उतना कहीं से नहीं मिला.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का रायबरेली से भी गहरा नाता रहा है. गांधी जी ने रायबरेली को आंदोलनों का तीर्थ नाम दिया था. 1925 में वह पहली बार रायबरेली आए तो ने महात्मा गांधी को सिरआंखों पर बैठाया और गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया.
13 अक्टूबर 1929 को महात्मा गांधी धामपुर पहुंचे. यहां छोटी मंडी में महिलाओं की सभा को संबोधित किया था. बापू ने यहां निरंजन नाई से मुल्तानी मिट्टी से दाढ़ी बनवाई थी.
हल्दौर कस्बे की दो बेटियों का विवाह महात्मा गांधी के कुटुंब में हुआ था. विवाह में महात्मा गांधी ने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई थी. दोनों विवाह वर्धा आश्रम में संपन्न हुए थे.
गांधी जी का बांदा से भी गहरा रिश्ता रहा है. अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने के लिए भारत भ्रमण के दौरान वह 1929 में वह बांदा भी आए थे. शहर कोतवाली में सीढ़ी लगाकर गांधी जी ने चरखा वाला तिरंगा फहराया था. उनके साथ पत्नी कस्तूरबा गांधी भी थीं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हापुड़ के असौड़ा से बेहद पुराना रिश्ता रहा है. 29 अक्टूबर 1942 को यहां असहयोग आंदोलन के समय वह असौड़ा आए थे. उन्होंने यहां के चौधरी रघुवीर नारायण सिंह के महल में रुके थे. उनको वह अपना मित्र मानते थे.
महात्मा गांधी ने साल 1936 में गोखले मार्ग पर एक बरगद का वृक्ष भी लगाया था, जो आज भी उनकी यादें बिखेर रहा है.
बापू का लखनऊ से भी गहरा रिश्ता था. 26 दिसम्बर 1916 को महात्मा गांधी लखनऊ आए थे. यहां वह फरंगी महल में रुके थे. यात्रा के दौरान असहयोग अंदोलन के समय अमीनाबाद के जनाना पार्क में महिलाओं को खिताब किया था.
बापू की हत्या पर पूरे देश गम में डूब गया था. रामपुर में भी इसकी झलक देखने को मिली थी. गांधी जी की हत्या पर रामपुर में तीन दिन का राजकीय शोक मनाया गया था.
महात्मा गांधी का यूपी के रामपुर जिले से खास रिश्ता रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय वह दो बार रामपुर आए. यहां के तत्कालीन नवाब हामिद अली से उनकी मुलाकात हुई थी. दोनों के बीच बेहद अच्छे रिश्ते बन गए थे.