Ghazipur Ka Itihas: पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का इतिहास हजारों साल पुराना है. यह ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत का एक ऐसा शहर है जो रामायण काल के चक्रवर्ती राजा भरत की ननिहाल था तो वहीं राजा पृथ्वीराज के वंशज और सैय्यद मसूद गाजी ने यहां राज किया. जानिये वर्तमान में इसे 'वीरों की धरती' क्यों कहा जाता है.
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History of Ghazipur: उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर स्थित गाजीपुर, गंगा नदी के किनारे बसा एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है. यह बनारस से 70 किमी पूर्व और उत्तर प्रदेश-बिहार की सीमा के पास स्थित है. इस शहर की ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता इसे उत्तर प्रदेश के एक महत्वपूर्ण जिला बनाती है. गाजीपुर को "लहुरी काशी" के नाम से भी जाना जाता है, और वीर अब्दुल हमीद जैसे मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित योद्धाओं की धरती होने के कारण इसे "वीरों की धरती" भी कहते हैं.
गाजीपुर का प्राचीन इतिहास
गाजीपुर का प्राचीन नाम "गाधिपुर" था, जिसका नामकरण राजा गाधी ने किया था. यह स्थान वैदिक काल से महत्वपूर्ण रहा है, जहां महर्षि परशुराम के पिता जमदग्नि का आश्रम स्थित था. बाद में, सैय्यद मसूद गाजी ने 1330 ईस्वी में यहां एक शहर की स्थापना की और इसका नाम गाजीपुर रखा.
चक्रवर्ती राजा भरत की ननिहाल
गाजीपुर का करंडा क्षेत्र भी ऐतिहासिक रूप से खास है, बताते हैं यहां चक्रवर्ती राजा भरत का ननिहाल हुआ करता था. भरत का बचपन यहां बीता था और वह शेरों के साथ खेला करते थे. इस प्रकार गाजीपुर का प्राचीन इतिहास इसे भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति से भी जोड़ता है.
गाजीपुर का मुगल और सल्तनत काल
गाजीपुर की स्थापना तुगलक शासनकाल के दौरान सैय्यद मसूद गाजी द्वारा की गई थी. उस समय गाजीपुर का कठउत क्षेत्र पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा मांधाता का गढ़ हुआ करता था. राजा मांधाता की पराजय के बाद, सैय्यद मसूद गाजी को दिल्ली सुल्तान की ओर से "मलिक-अल-सादात गाजी" की उपाधि दी गई. इसके बाद, गाजीपुर सल्तनत और मुगल काल के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया.
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गाजीपुर के प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं.
गंगा घाट
ददरीघाट, कलेक्टर घाट, स्टीमर घाट, और पोस्ताघाट यहं गंगा नदी पर बने प्रमुख घाट हैं. ये घाट धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहे हैं, यहां लोग बड़ी संख्या में स्नान, पूजा और अंतिम संस्कार के लिए आते हैं.
रामलीला मैदान
रामलीला मैदान, जिसे लंका मैदान भी कहा जाता है, शहर के बीचोंबीच स्थित है. यह चारदीवारी से घिरा हुआ है और रामलीला के साथ-साथ जनसभाएं, प्रदर्शनी, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र है.
नेहरू स्टेडियम
गाजीपुर का नेहरू स्टेडियम गोराबाजार में स्थित है और यहां विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इसके अलावा, जिले के विभिन्न गांवों में भी मिनी स्टेडियम मौजूद हैं.
महाहर धाम
यह गाजीपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर है और धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है. यह कासिमाबाद क्षेत्र में स्थित है और भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ से जुड़ी एक पौराणिक घटना का भी हिस्सा है.
कामाख्या धाम मंदिर
गाजीपुर जिले का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर, कामाख्या धाम मंदिर है जो गहमर के पास स्थित है और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है.
चकेरी धाम
यह मंदिर सैदपुर से 10 किलोमीटर पूर्व मां गंगा के किनारे स्थित है. इसकी स्थापना काशी के राजा ने की थी और यह एक प्राचीन धार्मिक स्थल है.
सामरिक और सांस्कृतिक महत्व
गाजीपुर जिले के गहमर गांव को एशिया का सबसे बड़ा गांव माना जाता है, यहां लगभग हर घर से एक व्यक्ति सेना में है. इस वजह से इसे 'वीरों का गांव' भी कहा जाता है. इसलिए इसे सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
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