GK Quiz: 'चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए' में क्या है 'दमड़ी' का मतलब? जानें रोचक कहानी
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GK Quiz: 'चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए' में क्या है 'दमड़ी' का मतलब? जानें रोचक कहानी

GK Quiz: 'चमड़ी जाए दमड़ी न जाए' वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी. कई बार तो आपने इसका इस्तेमाल भी किया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कहावत में 'दमड़ी' का मतलब क्या है?

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Gk Questions: सभी की जिंदगियों में कहावतें और लोकोक्तियां अहम स्थान है. हर छोटी-बड़ी बात पर आपने अपने बड़े-बुजुर्गों को स्थानीय लोकोक्तियां या फिर मुहावरे और कहावतें भी कहते सुना होगा. कई आपके समझ में आती होंगी तो कई आपके समझ से परे रही होंगी. ये कहावते हमारी रोज की जिंदगी से जुड़ी हुई होती हैं और इनका कुछ न कुछ इतिहास भी होता है. आज हम एक ऐसी ही कहावत की बात करेंगे, जिसे कोई भी कभी भी इस्तेमाल कर लेता है. 

लोकप्रिय कहावतों में एक
काफी लोकप्रिय कहावतों की बात करें, तो उनमें ‘चमड़ी जाए दमड़ी न जाए’ वाली कहावत हर किसी ने सुनी होगी. कई बार तो इसका इस्तेमाल भी किया होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इस कहावत में ‘दमड़ी’ का मतलब क्या है? हो सकता है कि कुछ लोगों को इसका मतलब पता हो लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें आइडिया ही नहीं है कि आखिर ये दमड़ी है क्या?

क्या है ‘दमड़ी’ का मतलब?
हर छोटी-बड़ी बात में लोगों को क्रिटिसाइज करने के लिए गांवों और शहरों में दो कौड़ी की औकात, दो कौड़ी की बात जैसे जुमले खूब इस्तेमाल होते हैं. इसका मतलब होता है, जिसकी कोई वैल्यू न हो. अब आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा कि फिर दमड़ी क्या है, जिसे चमड़ी से भी ज्यादा वैल्यू वाला बताया जाता है. दरअसल पुराने जमाने में दमड़ी भी कौड़ी की तरह ही रुपये-पैसे की इकाई होती थी. पुराने जमाने में रुपये की कैटेगरी देखें तो यह फूटी कौड़ी से शुरू होता था और फूटी कौड़ी से कौड़ी और कौड़ी से दमड़ी बनता था. जब ये कहावत बनी होगी, तो दमड़ी चलन में रही होगी और इसकी वैल्यू भी आर्थिक व्यवस्था में ठीक-ठाक होगी. जिसकी वजह से चमड़ी यानि खुद को नुकसान होने पर भी जेब से दमड़ी यानि पैसा न निकालने की ये कहावत बनी, जो आज भी कंजूस लोगों के लिए इस्तेमाल होती है.

ये भी जान लीजिए
दमड़ी की कहानी तो आपने जान ली, अब ये भी जान लीजिए कि पुराने जमाने में दमड़ी के बाद धेला और धेले से पाई/पैसा बनता था. इसके बाद पैसे का बड़ा रूप आना हुआ करता था. आना फिर रुपये में बदल जाता था. चवन्नी-अठन्नी आज भी कहा जाता है, ये 25 और 50 पैसे थे, जिन्हें 4 आना और 8 आना से आंका जाता था.

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