जानें कैसे खूंखार गाजीउद्दीन से बदला गाजियाबाद का इतिहास, मुगलों ने चार विशाल दरवाजों के बीच हिंडन किनारे बसाया था गाजियाबाद
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जानें कैसे खूंखार गाजीउद्दीन से बदला गाजियाबाद का इतिहास, मुगलों ने चार विशाल दरवाजों के बीच हिंडन किनारे बसाया था गाजियाबाद

Ghaziabad Ka Itihaas: उत्तर प्रेदश का गेटवे कहे जाने वाले गाजियाबाद का इतिहास बेहद रोचक है. यह यूपी का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र होने के साथ-साथ कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इसके संस्थापक गाजीउद्दीन के नाम पर इसे गाजीउद्दीननगर कहा जाता था जिसे बाद में छोटा कर गाजियाबाद कहा जाने लगा.

जानें कैसे खूंखार गाजीउद्दीन से बदला गाजियाबाद का इतिहास, मुगलों ने चार विशाल दरवाजों के बीच हिंडन किनारे बसाया था गाजियाबाद

Ghaziabad History: दिल्ली से सटे गाजियाबाद को उत्तर प्रदेश का द्वार कहा जाता है. यहां एक तरफ औद्योगिक इकाइयां हैं, कारखानों की चिमनी से निकलता काला स्याह धुआं है, गुप्त काल और मुगल शासन की धरोहरों हैं तो वहीं दूसरी तरफ इंदिरापुरम जैसी हाई राइज सोसाइटिज की कॉलोनी है, थोड़ा आगे निकल जाएं तो नहरें और खेत खलियान भी खूब हैं. 

गाजियाबाद की स्थापना 
गाजियाबाद की स्थापना करीब तीन सौ साल पहले मुगल बादशाह अहमदशाह के शासन के दौरान 1740 ई. में हुई थी. बादशाह के वजीर गाजीउद्दीन ने इस शहर की स्थापना की थी इसलिए उस दौर में इस शहर को गाजीउद्दीननगर कहा जाता था. बाद इसके नाम को छोटा कर गाजियाबाद कहा जाने लगा.  

2500 ई.पू का इतिहास
गाजियाबाद की हिंडन नदी के पास एक मैदान पर शोध कार्य और खुदाई से मिले साक्ष्य साबित करते हैं कि गाजियाबाद 2500 ई.पू. का है. गाजियाबाद की पूर्वी सीमा पर 'कोट' नाम का एक गांव है. बताया जाता है कि इस गांव को राजा समुद्रगुप्त का सहयोग प्राप्त था. जानकारी के मुताबिक चौथी सदी में गाजियाबाद के लोनी में समुद्रगुप्त और कोट कुलजम के बीच युद्ध हुआ था, और "कोट कुलजम" और किले पर विजय प्राप्त करने के बाद समुद्रगुप्त ने कोट गांव में ही अश्वमेध का यज्ञ किया था. इसी युद्ध से गाजियाबाद शहर की नींव पड़ी थी और मुगलों के भारत में आगमन से पहले यह हिंदू राजाओं के ही आधीन रहा. डासना गांव का निर्माण सालारसी नाम के राजपूत राजा ने करवाया था. 

मेरठ से अलग होकर जिला बना 
गाजियाबाद देश की आजादी से पहले ही नहीं बाद में भी मेरठ का ही हिस्सा हुआ करता था. लेकिन 14 नवंबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने गाजियाबाद को मेरठ से अलग कर एक नया जिला घोषित कर दिया लेकिन इसका नाम नहीं बदला गया. 

मुगल शासन की झलक
गाजियाबाद में आज भी मुगल शासन की झलक देखने को मिलती है. यहां दिल्ली गेट, जवाहर गेट, डासना गेट सिहरी गेट मध्यकालीन मुगल शासन की याद दिलाते हैं. शहर के बीचोबीच इसके संस्थापक गाजीउद्दीन की जर्जर हो चुकी हवेली आज भी मौजूद है जो इसके इतिहास का जिंदा सबूत है. गाजियाबाद के मुरादनगर को मुराद बेगमाबाद के नाम से जाना जाता था. जिले का जलालाबाद क्षेत्र मराठा जनरल महादजिन की बेटी बालाबाई की जागीर हुआ करता था.

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गाजियाबाद में क्या-क्या खास है

कई प्रसिद्ध मंदिर:  गाज़ियाबाद में दूधेश्वर नाथ, श्री लक्ष्मी नारायण (बिड़ला) मंदिर, मोहननगर स्थित इस्कॉन मंदिर और देवी दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर हैं. 

खेत खलियान: यह क्षेत्र ऊपरी सिंधु-गंगा के मैदान का हिस्सा है इसलिए यहां अनाज, दालें, गन्ना, तिलहन, और तंबाकू की खेती अच्छी होती है. 

सिटी फॉरेस्ट: यह 175 एकड़ में फैला है और इसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति देखे जा सकते हैं. यहां सैलानियों के लिए नौका विहार, घुड़सवारी और जीप से सैर समेत कई आकर्षण हैं. 

सबसे बड़ी बिजली परियोजना: गाजियाबाद के दादरी में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम की सबसे बड़ी बिजली परियोजना है, इसे दुनिया की सबसे बड़ी बिजली परियोजना भी कहा जाता है क्योंकि इसका बिजली संयत्र कुल 1670 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है, इसमें से 840 मेगावाट अकेले कोयले से और शेष 830 मेगावाट गैस से चलने वाले प्लांट से उत्पादन होता है. 

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