Bundelkhand Surya mandir: महोबा सूर्य मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसके बारे में कई कथाएं और किवदंतियां प्रचलित हैं. माना जाता है कि यह मंदिर उस समय बनाया गया था जब महोबा क्षेत्र में सूर्य देवता की पूजा की जाती थी. जानते हैं इस मंदिर का इतिहास...
मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और स्नान-दान किया जाता है. इस दिन गुड़ और तिल से बने मिठाईयां बनाई जाती हैं और बांटी जाती हैं. मकर संक्रांति के मौके पर हम आपको यूपी के इकलौते सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी पुराना है.
बुंदेलखंड का महोबा ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. ये कभी हमीरपुर जिले की एक तहसील होती थी लेकिन तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने महोबा को अलग जिला बना दिया था. जिला बनने के बाद महोबा ने तेजी से विकास किया. पिछले तीन दशक पूर्व पिछड़े महोबा की तस्वीर ही बदल गई है.
बुंदेलखंड में कई ऐतिहासिक और धार्मिक विरासतें आज भी मौजूद हैं. सदियों पुराने कई मंदिर आज भी अपनी छाप छोड़े हुए हैं. ऐसे ही एक ऐतिहासिक विरासत सूर्य मंदिर है.
महोबा का ये मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर से भी बहुत पुराना है. इसकी मान्यता भी काफी है. ये सूर्य मंदिर काफी पुराना है. मंदिर के गर्भगृह में सूर्य देवता की मूर्ति के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
सूर्य मंदिर मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर रहेलिया गांव में स्थित है. सूर्य मंदिर का निर्माण चंदेल राजा राहिल देव वर्मन ने 890 से 910 ई के मध्य कराया था.
यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है. इस मंदिर की खास बात है कि इसमें सीमेंट और गारा नहीं लगाया गया है. बिना सरिया और सीमेंट से बना यह मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर से भी बहुत पुराना है.
सूर्य मंदिर से कुछ दूरी पर सूर्य कुंड का निर्माण कराया गया था. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य कुंड का पानी कभी नहीं सूखता है
1203 ई. में मुगल शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस धरोहर का नामो निशान मिटाने की ठान ली थी. सूर्य मंदिर में खजाने की लालच में मुगल शासक ने पूरे मंदिर में तोडफ़ोड़ कराई, लेकिन ये पूरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं हो पाया था. अवशेष आज भी रहेलिया सागर किनारे और मंदिर के बगल में फैले है.
बुंदेलखंड का सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी है. यह मंदिर बुंदेलखंड की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
प्रदेश और देश की राजधानी से जनपद सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है. जनपद मुख्यालय पहुंचने के बाद ऑटो या अन्य साधन के माध्यम से सूर्य मंदिर पहुंच सकते हैं. हवाई यात्रा के लिए नजदीकी एयरपोर्ट मध्य प्रदेश के छतरपुर जनपद के खजुराहो है जहां से आप बस या ट्रेन के माध्यम से मुख्यालय पहुंच सकते हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.