रेतीली मिट्टी मरुस्थलीय क्षेत्र में पाई जाती है. यह मिट्टी प्रदेश के 38% तक हिस्से में मिलेगी. इस मिट्टी को एरिडिसोल्स भी कहा जाता है.
दोमट मिट्टी
दोमट मिट्टी उदयपुर जिले के मध्यवर्ती व दक्षिणी हिस्से में पाई जाती है. इसके अलावा यह डूंगरपुर जिले में भी पाई जाती है.
खेती
दोमट मिट्टी लाल रंग की होती है क्योंकि इसमें लौह-कण पाए जाते हैं. इस मिट्टी से मक्का, चावल की खेती होती है.
लाल-काली मिट्टी
लाल-काली मिट्टी उदयपुर जिले के पूर्वी भाग में बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के पूर्वी हिस्से में पाई जाती है. लाल-काली मिट्टी से मक्का और कपास की खेती होती है.
पीली-लाल मिट्टी
पीली-लाल मिट्टी उदयपुर और भीलवाड़ा जिलों के पश्चिमी हिस्सों और अजमेर, ,टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, सिरोही में पाई होती है.
लौह अंश
पीली-लाल मिट्टी का रंग लाल और पीला होता है क्योंकि इसमें लौह अंश होते हैं. साथ ही कई जगहों पर इस मट्टी का रंग हल्का-पीला और गहरा भूरा भी देखने को मिलता है.
काली मिट्टी
काली मिट्टी उदयपुर संभाग के कुशलगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और पूर्व हिस्से के कोटा और झालावाड़ में पाई जाती है.
गुण
काली मिट्टी में नमी को रोके रखने का गुण होते हैं. काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहते है. यह माटी राजस्थान की सबसे उपजाऊ मिट्टी है.
लेटेराइट मिट्टी
लेटेराइट मिट्टी कुशलगढ़, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के हिस्सों में नजर आती है. इस मिट्टी में चूना, नाइट्रेट व ह्यूमरस अल्पमात्रा में होते हैं.
जलोढ़ मिट्टी
जलोढ़ मिट्टी राजस्थान के पूर्वी हिस्से में पाई जाती है. अलवर, भरतपुर, डीग ,दौसा , अजमेर ,टोंक,कोटा ,धोलपुर , जयपुर और सवाई माधोपुर आदि.