सबकुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें... पढ़ें निदा फ़ाज़ली के शानदार शेर

Ansh Raj
Oct 06, 2024

वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता

सबकुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता

हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी

अब किसी से भी शिकायत न रही जाने किस किस से गिला था पहले

"मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर मोड़ पर मुझे याद आया।"

"मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरी महबूबा न मांग, मैंने तुम्हें याद किया था, तुम्हें याद रखा।"

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