घूमर मूल रूप से नृत्य कला है, यह पहले देवी सरस्वती की पूजा करने का एक तरीका था और इस नृत्य में महिलाएं मुख्य रुप से घूंघट डाल कर करती है.
Nov 01, 2023
घूमर का विस्तार भील जनजाति के द्वारा
घूमर राजस्थान का एक लोक नृत्य है जो भील जनजाति के लोग करते थे,इसे घाघरा और घूंघट पहनने वाली महिलाओं द्वारा किया जाता है.
घूमर नृत्य का तरीका
इसमें महिलाएं नृत्य करते हुए गोल-गोल घुमती हपई नाचती है जिसे घूमर कहा जाता है, घूमर शब्द घूमना से आया है,
घूमर राजपूत शासनकाल से प्रसिद्ध
घूमर राजपूत राजाओं के शासनकाल के दौरान राजस्थान में लोकप्रिय हो गया, क्योंकि वह नृत्य की सुंदरता और भव्यता से प्रभावित हो गए थे.
घूमर पारंपरिक शुभ अवसरों किया जाता है
घूमर पारंपरिक रूप से शुभ अवसरों किया जाता है, साथ ही यह त्योहारों और शादियों जैसे विशेष अवसरों पर भी किया जाता है.
घूमर के टाइप
राजस्थान के क्षेत्र के आधार पर घूमर की अलग-अलग शैलियाँ और कपड़े हैं,जैसे की, इलाकों में नृत्य तेज़ किया जाता है वहीं कुछ जगहों पर नृत्य धीमा किया जाता है.
घूमर नृत्य के गाने
घूमर में अक्सर ऐसे गाने शामिल होते हैं जो कहानियां बताते हों, इसमें कुछ लोकप्रिय गाने है शामिल है जैसे की जो मोर बोले रे, घूमर आदि