अलवर (Alwar) की भूमि को तपो भूमि कहा जाता है. उज्जैन के महाराजा भृतहरि (Maharaja Bhritahari) ने राजपाट छोड़ वैराग्य धारण किया और अलवर के सरिस्का के जंगलों में तपस्या की. और महाराजा भृतहरि यहीं समाधि में लीन हो गए. वीडियो में जानिए महाराजा भृतहरि की कहानी.