Udaipur News: उदयपुर शहर के रेलवे ट्रेनिंग स्कूल में चल रहे राजकीय विद्यालय में बाहरवीं कक्षा तक संचालित होने वाले इस स्कूल में कक्ष की छतों पर टीन शेड लगे हैं. स्कूल में महज पंच रूम होने के चलते दो-दो कक्षाएं एक साथ में बैठानी पड़ रही हैं. दरअसल रेलवे परिसर होने के चलते यहां पर शिक्षा विभाग को किसी भी तरह के कार्य को करवाने के लिए रेलवे की अनुमति लेनी होती है.
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Udaipur News: राजस्थान में उदयपुर शहर के रेलवे ट्रेनिंग स्कूल में चल रहे राजकीय विद्यालय में बाहरवीं कक्षा तक संचालित होने वाले इस स्कूल में कक्ष की छतों पर टीन शेड लगे हैं. स्कूल में महज पंच रूम होने के चलते दो-दो कक्षाएं एक साथ में बैठानी पड़ रही हैं. जिससे छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उदयपुर के क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण स्कूल में लोको पायलट तैयार किए जाते हैं.
यह लोको पायलट देशभर में पटरियों पर ट्रेन को दौड़ाने का काम करते हैं. इस स्कूल में हर तरह की अत्याधुनिक सुविधा है, लेकिन विडंबना देखिए कि इसी स्कूल परिसर में संचालित हो रहे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थिति इन दिनों बद से बदतर होती जा रही है. दरअसल रेलवे परिसर होने के चलते यहां पर शिक्षा विभाग को किसी भी तरह के कार्य को करवाने के लिए रेलवे की अनुमति लेनी होती है, लेकिन कई वर्षों से रेलवे से अनुमति नहीं मिल रही.
ऐसे में बच्चे सीमेंट के टीन शेड के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. गर्मी के मौसम में बच्चों को भयंकर गर्मी लगती है, बारिश के मौसम में टीन शेड से पानी टपकता है. कक्षाओं में दरारें आ रही हैं और कक्ष पूरी तरह से जर्जर अवस्था में है. बच्चों को पढ़ाने के लिए कमरें भी पर्याप्त नहीं हैं और कक्षा कक्ष भी बेहद छोटे हैं. जिनमें बैठने की भी पूरी व्यवस्था नहीं है.
ऐसे में एक कमरे में दो-दो कक्षाओं को एक साथ बैठाकर पढ़ाई करानी पड़ती है. कक्षा कक्षों की कमी के कारण मजबूरी में कुछ कक्षाओं को तो खुले मैदान में टीन शेड के नीचे बैठाना और पढ़ाना पड़ रहा है. हाल ही में विधायक प्रतिनिधि नियुक्त हुए उमेश श्रीमाली को इसके बारे में पता चला तो इसके बारे में उन्होंने उदयपुर के नवनिर्वाचित सांसद मन्नालाल रावत को अवगत करवाया. रावत को जब स्कूल की स्थिति की जानकारी हुई, तो उन्होंने स्कूल का दौरा किया और फिर रेल मंत्री से मुलाकात कर रेलवे द्वारा ही स्कूल के विकास की मांग की है.
वर्ष 1958 में राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने रेलवे परिसर में इस विद्यालय की शुरुआत की थी. कई वर्षों तक यह विद्यालय प्राइमरी स्तर पर चलता रहा और फिर क्रमोन्नत होता हुआ अब उच्च माध्यमिक स्तर तक चल रहा है. वर्तमान में करीब 200 बच्चे विद्यायल में पढ़ाई कर रहे हैं. रेलवे परिसर होने के चलते किसी भी तरह के कार्य के लिए रेलवे की स्वीकृती होना आवश्यक है.
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स्कूल प्रबंधन ने कई बार रेलवे को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया है. स्कूल प्रबंधन तो रेलवे से विकास करवाना नहीं चाहता, वे तो सिर्फ स्वीकृती चाहते हैं. जिससे भामाशाहों की मदद से ही वे अपने स्कूल को बदहाली की दशा से बाहर निकाल सकें. इस स्कूल में अब तक भामाशाहों की मदद और स्कूली अध्यापकों के सहयोग से करीब 15 लाख रुपये से छोटी मोटी मरम्मत जो अति आवश्यक हो, वह करवाई गई है.
जिसमें लेकिन अतिरिक्त निर्माण के लिए रेलवे को बच्चों के भविष्य की ओर देखकर जल्द स्वीकृति देनी चाहिए. देश के नौ निहाल बच्चों के बेहतर भविष्य की आधारशिला स्कूली शिक्षा से ही रखी जाती है, लेकिन यहां पहले से पांचवी कक्षा तक के बच्चे एक साथ एक ही कक्षा में पढ़ाई करते हैं. ऐसे में कैसे बच्चों की नींव मजबूत होगी.
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ऐसे में अब रेलवे को यह समझना होगा कि उनके परिसर में संचालित हो रहे स्कूल में बच्चें किन मुश्किल हालातों में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में वह स्कूल के पुनर्निर्माण की स्वीकृति प्रदान करें. जिससे स्कूल में आने वाले बच्चों को पढ़ाई का एक बेहतर वातावरण मिल सके.