राजस्थान का वो गांव जहां पेड़ों को राखी बांधती हैं बहनें,डेनमार्क तक बनी है पहचान
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1848471

राजस्थान का वो गांव जहां पेड़ों को राखी बांधती हैं बहनें,डेनमार्क तक बनी है पहचान

Raksha Bandhan 2023: राजस्थान से राखी के बीच एक अलग तरह की खबर आई है. आपको बता दें कि उदयपुर में एक ऐसा गांव है जहां बहनें पेड़ों को राखी बांधती हैं. आखिरी इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है?

 

 राजस्थान का वो गांव जहां पेड़ों को राखी बांधती हैं बहनें,डेनमार्क तक बनी है पहचान

 Raksha Bandhan 2023: पेड़ों से ऐसा अनूठा प्यार की बहनों ने जैसे भाई से प्यार किया है, उसी तरह यहां पेड़ों से भी प्यार किया है.ताकि ये बनें रहें, इसलिए राखी के बंधन से सुरक्षा दे रही हैं. दरअसल ये राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव की कहानी है, जहां बहनें पेड़ों को राखी बांधती हैं.यह परंपरा साल दो साल पुरानी नहीं बल्कि सदियों पुरानी हैं. यहां हर वर्ष राखी के अवसर बहनें पेड़ों को राखी बांधती हैं. 

 पिपलांत्री गांव की है ये खास कहानी

राजसमंद  से 15 KM दूर पिपलांत्री गांव है. आपको बता दें राजस्थान समेत देशभर में ये गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इस गांव की बहन बेटियों ने प्रकृति को संवारने का एक ऐसा अनूठा बीड़ा उठाया. शायद पेड़ों को बचाने के लिए इससे सुंदर संकल्प नहीं होगा. इसी का परिणाम है कि यहां का क्षेत्र पेड़ों और हरियाली से युक्त है.

राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे

यहां कि कहानी इतनी खास है कि इस बार असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी पहुंचे हैं.कटारिया के यहां पहुंचने पर लोगों ने उनका खास तरीके से स्वागत किया है. पर्यावरण संरक्षण रक्षाबंधन कार्यक्रम में शामिल लोगों कि कटारिया ने तारीफ की है.इस मौके पर कारगिल युद्ध के योद्धा योगेंद्र यादव भी इस मौके पर पहुंचे. उनका भी सम्मान किया गया.

अपने पंचायत क्षेत्र के बंजर भूमि को हरा-भरा कर दिया जो एक मॉडल के रूप में देश ही नहीं विश्व में उभर कर सामने आया है. यहां हर वर्ष बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाए जाते हैं और वह परिवार पौधे से पेड़ बनने तक उसका देखभाल करते हैं. वहीं बेटियां यहां पेड़ पौधों को राखियां बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है. 

डेनमार्क के स्कूलों में भी चर्चित है ये मॉडल

पेड़ों को बचाने के लिए ये मॉडल इतना कारगर है कि विदेशों में भी ये चर्चा का विषय बना हुआ है.डेनमार्क में पिपलांत्री मॉडल पर क्लास बच्चों को दी जा रही है. स्कूलों में  पिपलानी मॉडल पढ़ाया जा रहा है. यहां के ग्रामीणों ने खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनवाए, सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया. 

Trending news