रायसिंहनगर में शहीद भगत सिंह की बहन ने रखी थी कॉलेज की नींव, आज इस वजह से अटका विकास
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रायसिंहनगर में शहीद भगत सिंह की बहन ने रखी थी कॉलेज की नींव, आज इस वजह से अटका विकास

SriGanganagar News : सीमावर्ती क्षेत्र रायसिंहनगर का एक मात्र शहीद भगत सिंह महाविद्यालय राज्य सरकार की उदासीनता के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

रायसिंहनगर में शहीद भगत सिंह की बहन ने रखी थी कॉलेज की नींव, आज इस वजह से अटका विकास

SriGanganagar News : सीमावर्ती क्षेत्र रायसिंहनगर का एक मात्र शहीद भगत सिंह महाविद्यालय राज्य सरकार की उदासीनता के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस महाविद्यालय की नींव शहीद भगत सिंह की बहिन प्रकाश कौर द्वारा 1978 में रखी गई थी. वर्ष 1991 से 2011 तक शहीद भगत सिंह महाविद्यालय राज्य सरकार द्वारा अनुदानित कॉलेज था जिसमें 60 प्रतिशत अनुदान सरकार देती थी 40 प्रतिशत छात्रों की फीस से वसूल किए जाते थे. इससे पूर्व महाविद्यालय का संचालन प्रबंधन समिति के द्वारा किया जाता था. प्रबंध समिति के विवाद के चलते राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1991 में प्रबंध समिति को भंग कर उपखण्ड अधिकारी को प्रशासक नियुक्त कर दिया.

महाविद्यालय को पूर्ण रूप से सरकारी करने की मांग को लेकर छात्रों व सामाजिक संगठनों के धरने प्रदर्शन के फलस्वरूप राज्य सरकार ने सन 2013 में इस महाविद्यालय के सरकारीकरण की घोषणा कर प्राचार्य नियुक्त कर दिया. 2014 में विधानसभा चुनाव पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार सता में आने के बाद 26 सितंबर 2014 को सरकारी करण आदेश को डिनोटिफाई करते हुए समीक्षा के नाम पर महाविद्यालय के सरकारीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी. उच्च शिक्षा को लेकर सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद जिससे महाविद्यालय सरकारी होने की उम्मीदों पर पानी फिर गया. उसके बाद पुन: कांग्रेस सता में आई और अपने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पहले बजट में महाविद्यालय के सरकारी करण की पुनः घोषणा के बाद सरकारीकरण प्रक्रिया को आगे बढाते हुए महाविद्यालय का नाम शहिद भगत सिंह राजकीय महाविद्यालय कर दिया और सरकारी तौर पर प्रवेश के निर्देश जारी कर दिये.

शहीद भगत सिंह महाविद्यालय के मामले में कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य अंकित गोदारा ने बताया कि वर्ष 1991 से लेकर 2011 तक विद्यालय को जो अनुदान में राज्य सरकार से जो राशि प्राप्त हुई है उसमें करीब नब्बे लाख रूपए की राशि कम प्राप्त हुई है.लेकिन शिक्षा निदेशक द्वारा चार करोड के देनदारी कॉलेज के बताई जा रही है. राज्य सरकार अगर ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 90 लाख रुपए देनदारी का भुगतान कर देती है तो इस कॉलेज की सरकारी करण की रुकी राह काफी आसान हो जाएगी. मामले में राजनीतिक मजबूती का आधार भी कम नजर आया .इतनी बड़ी देनदारी का मामला नहीं होने के बावजूद भी राजनीतिक तौर पर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.हर वक्त चुनावी मुद्दा बनने के बाद भी इस मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों ने कोई कार्यवाही नहीं की यहां तक कि इस इलाके से केंद्रीय मंत्री तक प्रतिनिधित्व कर चुके है. . अपने गृह क्षेत्र के उच्च शिक्षा से जुड़े इस मामले में श्रीगंगानगर सांसद इस मामले को लेकर गंभीर नजर आई ना ही वर्तमान में विधायक व पूर्व विधायक

यहां अटका है महाविद्यालय का सरकारीकरण

महाविद्यालय के सरकारीकरण की प्रक्रिया के तहत समस्त दस्तावेज पूर्ण होने के बाद महाविद्यालय का एमओयू होना शेष है. जिस पर हस्ताक्षर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कॉलेज आयुक्तालय द्वारा जारी अनुबंध पत्र की शर्तों के अनुसार अनुबंध से पूर्व समस्त देनदारीयों की जिम्मेदारियां प्रबंध समिति की होगी. जबकि फरवरी 1991 के बाद प्रबंध समिति अस्तित्व में ही नहीं है. जबकी महाविद्यालय की और राज्य सरकार की चार करोड और महाविद्यालय 2011 में आरवीआरएस के तहत राज्य के स्वर में समायोजित हुए कर्मचारियों की देनदारियों 2 करोड रुपए वह भी राज्य सरकार द्वारा ही निर्धारित की गई है इन शब्दों को लेकर प्रशासन के स्तर होने विशेष है जिसके चलते उपखंड अधिकारी भी एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं है. उधर पूर्व कर्मचारियों के करोड़ों रुपए बकाया वेतन भत्तों का मामला भी न्यायालय में लंबित है जिसे मामला और भी पेचीदा हो गया है.

यह सुविधा है उपलब्ध-
महाविद्यालय में समस्त सरकारी मानकों को पूरा करता है. महाविद्यालय स्तर पर करीब 10 बीघा में यह कॉलेज स्थापित हुआ है.जिसके तहत महाविद्यालय के पास पर्याप्त भूमि व भवन बना हुआ है. वहीं 400 मीटर रनिंग ट्रेक,वॉलीबॉल कोर्ट, फुटबॉल का मैदान, जिम, उचित पेयजल की व्यवस्था के साथ साथ बालिकाओं हेतु अलग कॉमन रूम तथा समस्त प्रायोगिक परीक्षाओं हेतु प्रयोगशाला व अन्य सुविधाएं उपलब्ध है.

यह होगा फायदा--

महाविद्यालय में वर्तमान में करीब 412 नियमित व 2000 छात्र स्वयंपाठी के रूप में अध्यनरत है. महाविद्यालय का सरकारी करण होने के बाद नियमित विद्यार्थी की फीस मात्र बारह सो रुपए लगेगी जबकि वर्तमान में प्रत्येक नियमित विद्यार्थी की फीस आठ हजार रूपए हैं. फीस चुकाने में असमर्थ विद्यार्थीयों को मजबूरन स्वयंपाठी के रूप में परीक्षा देनी पड़ती है. महाविद्यालय का सरकारीकरण होने के बाद नियमित विद्यार्थियों की संख्या बढने के साथ साथ शिक्षा का स्तर भी बढ़ेगा. वहीं नियमित विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ महाविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सकेगा तथा नियमित विद्यार्थी होने के नाते राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों राज्य सरकार एवं विभिन्न विभागों द्वारा प्रतिवर्ष संचालित होने वाली विभिन्न छात्रवृतियों में आवेदन कर सकेंगे.

एनसीसी कैडेट की सीटें बढ़ने के भी असर-

राष्ट्र सेवा को समर्पित एनसीसी कैडेट की टीम शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में बेहतरीन तरीके से प्रशिक्षित एनसीसी प्रभारी का कहना है कि कॉलेज के सरकारी करण से सीटे बढ़ने से छात्र छात्राओं को इसका लाभ होगा.

रिपोर्टर- कुलदीप गोयल

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