Sikar News: सीकर में पूर्व सैनिकों और सैनिकों के लिए पिछले करीब 35 साल से संचालित सीएसडी कैंटीन को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के विरोध में आज पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों ने डाक बंगले से अहिंसा सर्किल होते हुए कलेक्ट्रेट तक आक्रोश रैली निकाली और विरोध प्रदर्शन किया.
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Sikar News: सीकर में पूर्व सैनिकों और सैनिकों के लिए पिछले करीब 35 साल से संचालित सीएसडी कैंटीन को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के विरोध में आज पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों ने डाक बंगले से अहिंसा सर्किल होते हुए कलेक्ट्रेट तक आक्रोश रैली निकाली और विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, गृहमंत्री, सैन्य विभाग के अधिकारियों सहित सरकार के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा.
पिछले 1 महीने से कर रहे हैं विरोध
गौरतलब है कि पिछले 1 महीने से पूर्व सैनिक और सैनिकों के परिजन पुरानी सीएसडी कैंटीन के बाहर कैंटीन को नई जगह शिफ्ट करने के विरोध में धरना दे रहे हैं, लेकिन सीएसडी कैंटीन को अब नई जगह स्थानांतरित करने के बाद आज सैकड़ों पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों ने शहर में आक्रोश रैली निकालकर अपना विरोध जताया और पूर्व में संचालित कैंटीन काउंटर को भी संचालित रखने की मांग उठाई. इसके साथ ही तहसील मुख्यालय पर भी सीएसडी कैंटीन का काउंटर खोलने की मांग रखी.
सरकार को सौंपा लिखित ज्ञापन
पूर्व सैनिकों का कहना है कि सीएसडी कैंटीन को कई किलोमीटर दूर नई जगह स्थानांतरित किया जा रहा है जिससे बुजुर्ग सैनिकों और महिलाओं सहित बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. इसलिए आज पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों ने हाथों में तिरंगा लेकर अपने हक अधिकार के लिए आक्रोश रैली निकाली है. आक्रोश रैली के बाद राष्ट्रपति, गृहमंत्री, सैन्य विभाग के अधिकारियों सहित सरकार को लिखित में ज्ञापन देकर पूर्व में निर्धारित सीएसडी कैंटीन को भी यथावत रखने की मांग रखी है.
महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है जगह
इसके साथ ही पूर्व सैनिकों ने चेतावनी दी है कि अगर सीएसडी कैंटीन को यथावत नहीं रखा गया तो आज तो सिर्फ ट्रेलर है फिल्म तो अभी बाकी है. यानी पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है. रिटायर्ड कर्नल रामेश्वर लाल ने बताया कि सीकर में नवलगढ़ पुलिया के पास स्थित सीएसडी कैंटीन जो प्राइम लोकेशन पर पिछले 35 साल से संचालित हो रही थी, जिसे अचानक ही किसी निजी हित के तहत यहां से 8 किलोमीटर दूर गांव में शिफ्ट कर दिया गया. अब कैंटीन को हाईवे पर शिफ्ट किया गया है, जहां पार्किंग की सुविधा भी नहीं है। खासकर महिलाओं के लिए वह बिल्कुल भी सुरक्षित जगह नहीं है.
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