मुसीबतों के आगे नहीं झुकीं सरिता, जूडो कोच बन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फहराया परचम
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1492646

मुसीबतों के आगे नहीं झुकीं सरिता, जूडो कोच बन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फहराया परचम

Sikar News: मंसूबे मजबूत हों तो मुकद्दर भी बदला जा सकता है. मुसीबतें भी खुद राह से हटकर मंजिल का मार्ग दिखा देती हैं. फिर माहौल और मजबूरी कैसी भी हों. यह साबित कर दिखाया है खंडेला के रामपुरा निवासी सरिता सैनी ने.

मुसीबतों के आगे नहीं झुकीं सरिता, जूडो कोच बन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फहराया परचम

Sikar: मंसूबे मजबूत हों तो मुकद्दर भी बदला जा सकता है. मुसीबतें भी खुद राह से हटकर मंजिल का मार्ग दिखा देती हैं. फिर माहौल और मजबूरी कैसी भी हों. यह साबित कर दिखाया है खंडेला के रामपुरा निवासी सरिता सैनी ने. मजदूर पिता के घर में जन्मी 6 भाई-बहनों में से एक सरिता का बचपन काफी मुफलिसी में बीता. लेकिन कुछ कर गुजरने का जज्बा उसने जहन में हमेशा जिंदा रखा. सरिता ने एक छोटे से गांव में कोचिंग जारी रखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है.

यह भी पढ़ें- कस्टम विभाग ने एयरपोर्ट पर पकड़ा सोना, रोडियम प्लेटेड तारों में छिपाकर लाया गोल्ड

स्कूली शिक्षा के दौरान वर्ष 2011 में शुरू हुआ सरिता का यह सफर दिन प्रतिदिन सफलता के नए मुकाम छू रहा है. सीकर के खंडेला उपखंड मुख्यालय स्थित राजकीय बालिका विद्यालय में पढ़ाई के दौरान उसने खेल प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया. वर्ष 2014 तक खूब पसीना बहाया. लेकिन परिवार की माली हालत के कारण इसे आगे जारी नहीं रख पाई और खेल के साथ अब कुछ आमदनी की भी जरूरत महसूस होने लगी. बकौल सरिता उसने खेल को ही चुना. और रामपुरा गांव में बच्चों को जूड़ो की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. जिससे घर और उसका खर्चा निकालना शुरू हो सके. वर्ष 2015 में उसने जिला स्टेडियम की तरफ से कॉन्ट्रैक्ट कोच लगकर रामपुरा में जूडो सेंटर शुरू कर दिया. जो उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 

यह भी पढ़ें- राजस्थान में 24 घंटे में 2 डिग्री तक बढ़ गया तापमान, 22 दिसंबर से फिर बदलेगा मौसम

सेंटर शुरू करने के बाद उसकी आमदनी भी शुरू हो गई और यहां से ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले खिलाड़ी भी नाम रोशन रोशन करने लगे. सरिता सैनी ने भी अपने माता-पिता और जिले का नाम रोशन कर जूडो में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाते हुए अपनी मेहनत के बलबूते कोचिंग देकर छोटे से गांव से जूडो के पांच नेशनल मेडलिस्ट, पचास से अधिक स्टेट मेडलिस्ट और पच्चीस नेशनल प्रतिभागी तैयार किए जा चुके हैं. जो सिलसिला आज भी अनवरत जारी है. सरिता की ओर से तैयार खिलाड़ी ज्योति सैनी का वर्ष 2019 में कॉमनवेल्थ गेम में चयन हुआ था.

यह भी पढ़ें- अलवर में पेड़ काटने से रोका तो दबंगों ने पीट-पीटकर हाथ-पैर तोड़ दिए

सरिता ने बताया कि जब उसने खेलना शुरू किया तो गांव की परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत थी. खेलों में लड़कियों का भाग लेना इतना आसान नहीं था. परिजन भी उनकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित दिखते थे. इसके साथ ही परिवार की आर्थिक हालत भी उसके सामने बड़ी समस्या थी. अपने हौसला और मेहनत के बलबूते सरिता ने इन सब से पार पाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन किया है.

साथी सरिता ने कहा कि अब वह चाहती हैं कि जो वह न कर सकी वह उसके द्वारा तैयार की जा रही खिलाड़ी कर सके इतना ही नहीं उसने कहा कि मैंने जो कुछ इस खेल में हासिल किया है मैं चाहती हूं कि मेरे तैयार किए हुए खिलाड़ी मुझसे ज्यादा नाम रोशन कर सकें.

 

Trending news