Navratri 2022: जीणमाता का हजारों साल पुराना मंदिर, जहां औरंगजेब ने टेक दिए थे घुटने
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Navratri 2022: जीणमाता का हजारों साल पुराना मंदिर, जहां औरंगजेब ने टेक दिए थे घुटने

Navratri 2022: हजारों साल पुराना जीणमाता मंदिर, जहां भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है, जानते है माता की अनोखी कहानी

 

Navratri 2022: जीणमाता का हजारों साल पुराना मंदिर, जहां औरंगजेब ने टेक दिए थे घुटने

Navratri 2022: सीकर में करीब 1000 साल पुराना यह मंदिर अपने आप में विशेष है. अरावली की पहाड़ियों के बीच बने इस मंदिर में मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी अपने घुटने टेक दिए थे. नवरात्रि के पांचवे दिन मंदिर के पुजारी से जानें इस मंदिर की अनूठी गाथा.

जिले में जीण माता के मंदिर में 2 साल बाद बिना किसी पाबंदी के मेले का आयोजन हो रहा है. पुजारी रजत पाराशर ने बताया कि मेले में अब तक करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लोग दर्शन कर चुके हैं और अभी भी भक्तों का सिलसिला जारी है. नवरात्रों में माता का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. कोलकाता, बेंगलुरु समेत दूसरे कई प्रदेशों से माता के श्रृंगार के लिए फूल आते हैं. 

ऐसे प्रसिद्ध हुआ यह स्थान 

मंदिर पुजारी रजत पाराशर ने बताया कि जीण माता का जन्म घांघू गांव के एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था. जीण का एक बड़ा भाई था हर्ष, भाई बहनों में बहुत प्रेम था. लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे. ऐसा कहा जाता है कि जीण एक दिन अपनी भाभी के साथ सरोवर से पानी भरने गई थी. वहीं पर जीण और उनकी भाभी में बहस हो गई की हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते है. उन्होंने शर्त रखी हर्ष जिसका मटका सबसे पहले सिर से उतार कर नीचे रखेंगे वो उसे ही सबसे ज्यादा प्रेम करते है. फिर दोनों लोग मटका लेकर हर्ष के सामने पहुंची, सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का मटका नीचे उतारा और जीण शर्त हार गई. उसके बाद जीण नाराज होकर अरावली पर्वत के शिखर पर भगवती की तपस्या करने में लग गई और हर्ष उसे मनाने गया तो जीण तपस्या में लीन थी. उसके बाद हर्ष भी भैरव भगवान की तपस्या करने लगा और फिर दोनों जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध हो गए. 

औरंगजेब के सैनिकों ने टेक दिए घुटने 

पुजारी ने बताया कि माता के इस मंदिर को तुड़वाने के लिए औरंगजेब ने सैनिक भेजे थे. मां दुर्गा ने मधुमक्खियों के रूप में आकर मंदिर की रक्षा थी. ऐसे में औरंगजेब अपने कार्यों में असफल हो गया. एक बार जब औरंगजेब बीमार पड़ा तो उसे उसी समय अपनी गलती का एहसास हुआ और जीण माता के मंदिर में हर महीने सवा मन तेल चढ़ाने का वचन दिया. जब उसने माफी मांगी तो माता ने उसे माफ कर दिया. उसी दिन से मुगल बादशाह को माता के प्रति श्रद्धा बढ़ गई. अब यहां सवा मन तेल सरकार देती है.

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नौ दिनों तक चलने वाले मेले मे लाखों भक्त माता के दरबार मे आ रहे है. यहाँ आस्था और भक्ति का ज्वार उमड़ रहा है. श्रद्धालु मनोकामना मांग कर पूजा अर्चना कर रहे है. तो कई भक्तों के मनोकामाना पूरी होने पर माथा टेकने भी आ रहे है. श्रद्धालुओ की भीड़ के चलते व्यवस्था के लिए 600 पुलिस कर्मी तैनात है. प्रशासन और मंदिर कमेटी की ओर से तमाम व्यवस्था की गई है.

श्रद्धालु रंजीलाल सोनी ने बताया कि वह 1962 से लगातार जीणमाता आ रहे हैं. पहले बैलगाड़ियों में तो अब मोटरगाड़ियों में आते हैं, हैदराबाद निवासी एकता ने बताया कि वह हमेशा जीणमाता के मेले में दर्शन करने के लिए आते है. माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती है. 

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