संसद सत्र के बीच बाहर बरसने लगी गोलियां, फिर नीमकाथाना के जयप्रकाश ने आतंकियों से लिया लोहा
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1539995

संसद सत्र के बीच बाहर बरसने लगी गोलियां, फिर नीमकाथाना के जयप्रकाश ने आतंकियों से लिया लोहा

3 दिसंबर 2001 के दिन भारतीय संसद में सुबह आमतौर पर रोज की गहमागहमी थी. शीतकालीन सत्र चल रहा था. कतई अंदाज नहीं था कि थोड़ी ही देर में आतंकवादी इस परिसर में घुसकर आतंक फैलाने वाले हैं.

संसद सत्र के बीच बाहर बरसने लगी गोलियां, फिर नीमकाथाना के जयप्रकाश ने आतंकियों से लिया लोहा

Sikar News : 3 दिसंबर 2001 के दिन भारतीय संसद में सुबह आमतौर पर रोज की गहमागहमी थी. शीतकालीन सत्र चल रहा था. कतई अंदाज नहीं था कि थोड़ी ही देर में आतंकवादी इस परिसर में घुसकर आतंक फैलाने वाले हैं. भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ये ऐसी घटना थी, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था कि आतंकवादी ये हरकत भी कर सकते हैं. पूरा देश सन्न था कि आखिर संसद पर हमला कैसे हो सकता है.

हमले में नीमकाथाना के रहने वाले जयप्रकाश यादव अपने प्राणों को न्योछावर करते हुए आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. जगदीश प्रसाद यादव 13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन के गेट सं. 11 और 12 के नजदीक भवन के बाहर माननीय उप राष्ट्रपति के प्रस्थान की व्यवस्था देख रहे थे. लगभग 11.40 बजे एक सफेद एम्बेसडर कार बड़ी तेजी से संसद भवन के गेट सं. 11 की और बढ़ी. उन्होने कार को रुकने का संकेत दिया और चिल्लाकर इसे रुकने के लिए कहते हुए उस कार के पीछे दौड़े. जैसे ही यादव कार के नजदीक पहुंचे पाँच सशस्त्र आतंकवादी कार से कूदे और उन्होने अंधाधुंध गोली चलानी शुरू कर दी. जगदीश प्रसाद यादव के पास कोई शस्त्र नहीं था फिर भी वे आतंकवादियों की और बढ़ते रहे और इसी दौरान एक गोली उनके पैर में आ लगी. अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए यादव भवन के गेट सं. 12 की और यह चिल्लाते हुए दौड़े कि "आतंकवादी आ गए, दरवाजा बंद कर लो" जिससे उनके साथी चौकन्ने हो गए. इसे देखते हुए आंतकवादियो ने पूरी गोलियो उनके ऊपर झोंक दी.

गोलियां बहुत करीब से उनके सिर में आ लगी और वे संसद भवन के गेट सं. 12 के पास गिर पड़े और तत्काल वीरगति को प्राप्त हो गए. जगदीश प्रसाद यादव पहले सुरक्षा कार्मिक थे जिन्होंने संसद भवन की सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था को चौकन्ना किया जिसके परिणाम स्वरूप बाद में आतंकिवादियों के आक्रमण को बेकार किया जा सका. वीरांगना प्रेम देवी ने बताया कि आज से 21 साल पहले उनके पति जयप्रकाश यादव संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. वीरांगना प्रेम देवी ने बताया कि उनके पति संसद की रक्षा करते हुए शहीद हुए उन्हें इस बात का गर्व है लेकिन इस बात का दुख भी है कि वह आज उनके बीच नहीं रहे. बता दे शहीद जयप्रकाश यादव का जन्म 22 दिसंबर 1969 को नीमकाथाना में हुआ था वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे उनकी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नंबर 1 स्कूल में हुई थी. 1995 में वह संसद में सुरक्षा कर्मी के रूप में भर्ती हुए थे. शहीद जेपी यादव के बेटा एवं एक बेटी.

ये भी पढ़ें .. 

सचिन पायलट को हनुमान बेनीवाल की नसीहत, कुछ करना है तो दिल्ली जा कर आलाकमान को बताओ

गहलोत को पायलट का जवाब, 32 सलाखों के पीछे जो बिना हड्डी की जीभ है उसे संभाल कर उपयोग करना चाहिए

Trending news