दुर्गापूजा की तैयारी: सीकर में सज रहे पंडाल, कोरोना काल के बाद मूर्तियों की बढ़ी डिमांड
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दुर्गापूजा की तैयारी: सीकर में सज रहे पंडाल, कोरोना काल के बाद मूर्तियों की बढ़ी डिमांड

Navratri 2022: 26 सितंबर से नवरात्र शुरू होंगे शहर में होने वाली दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियां बनाने का काम जोरों पर है. दुर्गा पूजा को भव्यता प्रदान करने के लिए बंगाल, बिहार व झारखंड के कारीगर आए हुए हैं और दिन-रात मेहनत करके पंडालों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. 

सीकर में दुर्गा पूजा की तैयारी जोरों पर

Navratri 2022: 26 सितंबर से नवरात्र शुरू होंगे शहर में होने वाली दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियां बनाने का काम जोरों पर है. सीकर में दुर्गा पूजा को भव्यता प्रदान करने के लिए बंगाल, बिहार और झारखंड के कारीगर आए हुए हैं और दिन-रात मेहनत करके पंडालों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. कारीगर 18 घंटे काम कर मूर्तियां बनाने में जुटे हैं.पहले मूर्तियों को आकार देने के बाद उनका श्रृंगार कर भव्य रूप दिया जा रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस बार अच्छी बुकिंग होने के कारण कारीगरों के चेहरे पर खुशी भी है. सीकर में मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने वाले कारीगर बंगाल के है. इसलिए बंगाल में बनने वाली मां दुर्गा की तर्ज पर मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है.

श्रृंगार कर भव्य रूप दिया जा रहा
कारीगर का कहना है कि मां दुर्गा के इस रूप की काफी डिमांड रहती है. कारीगर साधन पाल बंगाली बताते है कि 4-5 महीने का त्यौहारी सीजन रहता है. इस दौरान दिन रात एक कर काम करते है. अभी 9 कारीगर मूर्तियां बनाने का काम कर रहे है. जिसमें दुर्गा माता के साथ भगवान गणेश की मूर्तियां भी शामिल है.

करोना काल में काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ा
कारीगर साधनपाल ने बताया कि पहले मिट्टी और लकड़ियों से मूर्ति को आकार दिया जाता है. 3 बाद सुखाने के बाद 2 दिन तक मूर्ति को सुन्दर बनाने के लिए श्रृंगार किया जाता है. 5 दिन के बाद मूर्ति तैयार होती है. उन्होनें बताया कि अभी 72 मूर्तियां बनाई गई है जिनकी बुकिंग हो चुकी है. इसके साथ ही 72 ही भगवान गणेश की मूर्तियां है जिन्हें मां दुर्गा के साथ दी जाती है. उन्होनें बताया कि पिछले 25 साल से यह काम कर रहे है. शुरूआत में 2 कारीगरों से काम शुरू किया था लेकिन डिमांड बढने के बाद अब 9 कारीगर मूर्ति बनाने का काम कर रहे है.

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साधनपाल ने बताया कि कोरोना काल में उन्हें काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ा. उस समय को याद कर वह सहम जाते है क्योंकि कोरोना में उनका काम पूरी तरह से ठप्प हो गया था. हालांकि इक्का दुक्का मूर्तियां निकली लेकिन वो नाकाफी थी. लेकिन इस बार नवरात्रा पर बुकिंग को देखकर उनको राहत मिली है.

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