Rajasthan: राजस्थान के जगंल कितने महफूज हैं चीतों के लिए? क्या सर्वाइव कर पाएंगे यहां..
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Rajasthan: राजस्थान के जगंल कितने महफूज हैं चीतों के लिए? क्या सर्वाइव कर पाएंगे यहां..

Rajasthan: कूनो नेशनल पार्क से चीतों को लेकर चिंता भरी खबरें आ रही हैं. यहां नामीबिया से लाए गए चीतों पर संकट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. वहीं केंद्र सरकार भी चीतों के संरक्षण को लेकर संवेदन शील है.सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान में चीतों को बसाने की संभावना तलाश करने के निर्देश दिए हैं .जानें पूरा मामला. 

 

Rajasthan: राजस्थान के जगंल कितने महफूज हैं चीतों के लिए? क्या सर्वाइव कर पाएंगे यहां..

Rajasthan: देश के मध्यप्रदेश स्थित कुनों नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौतों के बाद राजस्थान में चीतों के लिए पर्यावास तलाशने की चर्चा जोरों पर हैं ,सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान में चीतों को बसाने की संभावना तलाश करने के निर्देश दिए हैं , लेकिन वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक राजस्थान में ऐसा कोई जंगल नहीं है जहां ,चीते सर्वाइव कर सकें. राजस्थान चीतों के लिए कब्रगाह साबित हो सकता है.

चीतों की लगातार हो रही मौत 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश के कूनों के जंगलों में बसाए गये चीतों की लगातार हो रही मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए राजस्थान सहित अन्य जगहों पर चीतों के लिए उनके मुताबिक जंगल तलाशने की बात कही थी. तब से ही चीतों को राजस्थान में शिफ्ट करने की चर्चा जोरों पर है.लेकिन वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो राजस्थान कभी भी चीतों का घर नही बन सकता. क्यों की राजस्थान के जंगल ,जलवायु एंव भौगोलिक स्थित किसी भी तरह चीतों के अनुकूल नही है.

 अधिकतर जंगल पहाड़ी
वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो राजस्थान के अधिकतर जंगल पहाड़ी क्षेत्रों में है,ऐसे में भौगोलिक एंव जलवायु की दृष्टि से राजस्थान के जंगल चीतों के लिए अनुकूल नहीं है. चीतों को घास के मैदानों ओर बड़े मैदानों की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन राजस्थान के किसी भी जंगल में ना तो घास के इतने बड़े मैदान है और ना ही चीतों के मुताबिक बड़े बड़े मैदान हैं.

वहीं, राजस्थान के जंगलों में पैंथर एंव टाईगर का मुवमेंट अभिक है ,जो चीतों के लिए मौत का कारण बन सकते हैं. वहीं, चीतों को छोटे शिकार की जरूरत पड़ती है ,जबकि राजस्थान के जंगलों में कई बड़े बड़े जानवर है,ऐसे में चीतों के सामने खाने का भी संकट रहेगा.

भौगोलिक स्थिति चीतों के अनुकूल 
कुछ एक वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान में कोटा के मुकुंदरा ,जैसलमेर के डेजर्ट पार्क ,बीकानेर के तालछापर एंव बारां के शेरगढ़ में चीतों को बसाया जा सकता है , लेकिन इन जंगलों में भी चीतों के मुताबिक जलवायु नही है और ना ही भौगोलिक स्थिति चीतों के अनुकूल है ,अगर इन जंगलों में चीतों को बसाया जाता है , तो चीतों को बसाने से पहले इन जंगलों को चितो के अनुकूल बनाना होगा ,जो सम्भव नही है ,

 कब्रगाह ही साबित होंगे
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान के जंगलों में बाघ ,लेपर्ड तेंदुए आदि की संख्या अधिक है । ऐसे में ये बड़े जंगली जानवर चीतों के लिए मौत काल साबित हो सकते है. वहीं, राजस्थान में गर्मी में तापमान भी अधिक रहता है. ऐसे में 45 से 50 डिग्री तापमान के बीच चीतों के लिए रहना चीतों के लिए मुश्किल है. ऐसे में राजस्थान के जंगल चीतों के अनुकूल नहीं है और अगर राजस्थान के जंगलों में चीतों को बसाया जाता है , तो यहां के जंगल चीतों के लिए कब्रगाह ही साबित होंगे.

प्रोजेक्ट कई वर्षों से चल रहा
भारत में चीता प्रोजेक्ट कई वर्षों से चल रहा है ,पिछले दो दशकों में चीता प्रोजेक्ट पर खूब रिसर्ज किया गया ,सरकारी स्तर पर भी शोध किये गए और आंध्रप्रदेश ,कर्नाटक ,मध्यप्रदेश महाराष्ट्र ,उत्तराखंड ,असम , पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के जंगलों को देखा गया ,उसके बाद ही मध्यप्रदेश के जंगलों का चयन चीतों के लिए किया गया है.राजस्थान के जंगल तो इन राज्यों जैसे बिल्कुल भी नही है. ऐसे में केवल पड़ोसी राज्य होने के नाते चीतों को राजस्थान में नही बसाया जा सकता है.

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