पर्यावरण संरक्षण की महिलाओं की अनूठी पहल: पहाड़ों और जंगलों में सीड्स बॉल और गुलेल से करती हैं बीजारोपण
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पर्यावरण संरक्षण की महिलाओं की अनूठी पहल: पहाड़ों और जंगलों में सीड्स बॉल और गुलेल से करती हैं बीजारोपण

नेहरु युवा केंद्र देवगढ़ के करियर महिला मंडल की महिलाओं और युवतियों ने एक साथ मिलकर नए तरीके से पर्यावरण बचाने की राह ली है.

पर्यावरण संरक्षण की महिलाओं की अनूठी पहल

Bhim: बारिश से पहले पौधारोपण तो हर जगह होता है, लेकिन नेहरु युवा केंद्र देवगढ़ के करियर महिला मंडल की महिलाओं और युवतियों ने एक साथ मिलकर नए तरीके से पर्यावरण बचाने की राह ली है. इन महिलाओ और युवतियों द्वारा पिछले तीन वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की जा रही है.

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इनके द्वारा मानसून से पहले विभिन्न प्रकार की पहाड़ी प्रजातियों के बीज को एक जगह एकत्रित कर उसमे मिट्टी और खाद को मिलाकर बनाया, उसे नंही-नन्ही बॉल का शेप दिया जाता है. मंडल से जुडी डॉ. सुमिता जैन और भावना सुखवाल ने बताया कि आमतौर पर पौधारोपण तो होता है, लेकिन हम उसका संरक्षण नहीं कर पाते हैं. 

इसलिए यह विचार मन में आया कि क्यों न सीड बॉल का निर्माण कर उसे पहाड़ियों पर उछाला जाए, इससे गड्ढे कर पौधारोपण करने की आवश्यकता नहीं होगी और बीज खुद ही आगे चलकर पौधे का स्वरूप ले लेगा. बारिश होने पर यह मिट्टी की बॉल के अंदर मौजूद बीज खुद ही फूटकर अंकुरित होने लगेगा और धीरे-धीरे बीज प्रकृति के सहयोग से पौधा बनेगा सीड बॉल बनाना कम खर्चीला, बिना प्लास्टिक का होने से बहुत उपयोगी है. आज प्रकृति का अत्यधिक दोहन और शोषण महामारी के रूप में आमजन मानस को एक सबक है, जिससे शिक्षा लेकर पर्यावरण के प्रति हमें हमारी दायित्व का निर्वहन करना चाहिए. 

मंडल संस्थापक भावना पालीवाल ने बताया की सेंड माता शिखर के बाद माद मे पन्ना धाय स्थल कमेरी, मेराथन ऑफ मेवाड़ दिवेर ओर सातपालिया के जंगलो मे इस प्रकार से कार्य किया जा रहा है. प्रतिवर्ष इन महिलाओं द्वारा अपने अभियान का प्रारंभ लसानी गांव के समीप अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊंची पहाड़ी से किया जाता है, जहां प्रातःकाल ये महिलाओं को पहाड़ों पर चढ़ती है और दिनभर खड्डे खोदकर और गुलेल के माध्यम से चारों ओर बीजों का छिड़काव करती है. 

छिडकाव से पहले इन बीजों को भिगोकर रखा गया ताकि थोड़ी सी भी मिट्टी मिलते ही यह बीज जड़ पकड़ ले. आपको बता दें कि महिलाओं द्वारा मुख्य तौर पर पीपल, बबूल, बड़, नीम, शीशम जामुन , गुलमोहर, कचनार, केसिया के सीड बॉल तैयार किए जाते हैं. इसके बाद केवल मानसून के आने का इंतजार होगा तब पहाड़ियों पर सीड बॉल उछालकर एक नए तरह का पौधारोपण होगा ताकि पर्यावरण संरक्षित रहें.

Reporter- Devendra Sharma

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