Pratapgarh News: राजस्थान के प्रतापगढ़ में होलिका दहन के दूसरे दिन खेले जाने वाले इस त्यौहार पर यहां के लोग शोक मनाते हैं. जानिए पूरी कहानी.
Trending Photos
Pratapgarh News: राजस्थान के प्रतापगढ़ में रंगों का त्योहार होली नहीं मनाया जाता है. होलिका दहन के दूसरे दिन खेले जाने वाले इस त्योहार पर यहां के लोग शोक मनाते हैं. जिले में रंगों का यह त्यौहार होलिका दहन के 13वें दिन यानी तेरस पर यह त्योहार मनाया जाता है. इस दिन को रंग तेरस के नाम से जाना जाता है. इसी दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं.
जानिए प्रतापगढ़ में होली के दूसरे दिन रंगों का त्योहार धूलंडी क्यों नहीं मनाया जाता है? हिंदू मान्यताओं के अनुसार, किसी भी त्योहार पर परिवार के किसी सदस्य की मौत हो जाती है तो वह त्योहार नहीं मनाया जाता है और परिवार में 13 दिन तक शौक रहता है. पंडित श्री हरि शुक्ल का कहना है कि रियासत कालीन दौर में यहां के राज परिवार में होली के दिन किसी सदस्य की मौत हो गई और उसके शोक स्वरूप रंगों का त्यौहार प्रजा ने नहीं मनाया.
जैसी कि हिंदुओं की परंपरा है 12 दिन तक शौक रहा और 13 वें दिन शोक निवारण के कार्यक्रम पर लोगों ने एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाया. इतिहासकारों का कहना है कि साफ तौर पर तो यह नहीं पता कि राज परिवार में किस व्यक्ति की मौत हुई थी और कब हुई थी, जिसके कारण यह त्योहार 13 दिन बाद मनाया जाता है लेकिन यह परंपरा बरसों पुरानी है, जिसका निर्वहन आज भी प्रतापगढ़ और आसपास के लोग कर रहे हैं. यहां पर होली का दहन तो होता है, लेकिन एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाने के आयोजन तेरस को होते हैं.
कलेक्टर द्वारा भी इस दिन सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाती है. हालांकि अब समय बदलने के साथ परिस्थितियां भी बदली है. जिले में बाहर के कई लोग अब निवास करने लगे हैं, जो धूलंडी पर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं लेकिन खास तौर पर रंगों का यह त्योहार रंग तेरस के रूप में आज भी 13 दिन बाद ही मनाया जाता है.
यह भी पढ़ेंः Jaisalmer News: सरहद पर होली की धूम, BSF जवानों ने फाग गीतों पर किया डांस
यह भी पढ़ेंः Rajasthan Weather Update: राजस्थान में सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ, फिर बदल जाएगा मौसम का हाल