Dhariyavad News: अजगर को पकड़ने में असफल रही वन विभाग की टीम, तो प्रतापगढ़ से आई टीम ने दो घंटे में किया रेस्क्यू
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Dhariyavad News: अजगर को पकड़ने में असफल रही वन विभाग की टीम, तो प्रतापगढ़ से आई टीम ने दो घंटे में किया रेस्क्यू

Dhariyavad, Pratapgarh News: प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड क्षेत्र के पाल मूंगाणा सीनियर सेकंडरी स्कूल भाग २ में पिछले चार दिनों से कुंए में खौफ पैदा कर रहे अजगर को चार दिन के बाद आखिर रेस्क्यू कर लिया गया. लेकिन हैरत की बात यह है कि चार दिन बाद भी वन विभाग के लोग अजगर को रेस्क्यू करने में असफल रहे है.

Dhariyavad News: अजगर को पकड़ने में असफल रही वन विभाग की टीम, तो प्रतापगढ़ से आई टीम ने दो घंटे में किया रेस्क्यू

Dhariyavad, Pratapgarh News: मीडिया में वाह-वाही लूटने के लिए धरियावद रेंजर तेजपाल सिंह ने प्रेस नॉट तो जारी कर दिया. पर अपनी कमियों को छुपाते हुए. वन विभाग पिछले चार दिनों से सुविधाओं और संसाधनों के अभाव का हवाल देकर अजगर को रेस्क्यू नहीं कर पाए. आखिरकार निराश होकर वन विभाग की टीम ने प्रतापगढ़ के रहने वाले स्नेक केचर भंवरलाल को अजगर को रेस्क्यू करने के लिए धरियावद के मूंगाणा में बुलाया.

 भंवरलाल और उनक साथी बिना किसी संसाधन और सुविधाओं को वन विभाग जिन सुविधाओं में चार दिन से अजगर को रेस्क्यू नहीं कर पाया. उसे महज दो घंटे में भंवरलाल ने अजगर को रेस्क्यू कर के कुएं से बाहर निकाल लिया. सालों को अनुभव और ट्रेनिंग लेने वालों के सामने एक बिना ट्रेनिंग के सांपों को पकड़ने वाले रेस्क्यू करने वाले स्नैक केचर भंवरलाल ने अपने हौसले के दम पर अजगर को रेस्क्यू कर सब को हेरत में डाल कर वन विभाग की टीम पर कई सवाल खड़े कर दिए.

अजगर को पकड़ने के लिए चार दिनों से वन विभाग टीम केवल औचारिकता निभाती रही. खबर के बाद रेस्क्यू को तो तेज किया गया, फिर भी वनकर्मी केवल कुएं के पास चक्कर ही लगाते रहे. अजगर को पकड़े के लिए विभाग की ओर से कोई कड़े प्रयास नहीं किए गए. जानकारी के अनुसार वनपाल वनपाल शंकर शक्तावत ने अपनी कमियों सहीं करने की जगह ग्रामीणों को यह तक कह दिया की खबर के चलने से हमारा क्या बिगड़ गया. 

पिछले चार दिनों से खौफ के साये में जी रहे ग्रामीणों और स्कूली बच्चों की सुरक्षा को भी वन विभाग धरियावद के लोग अहमियत नहीं दे पाए. बता दें कि धरियावद क्षेत्र में अधिकांश क्षेत्र वन्यक्षेत्र में आता है. ऐसे में आए दिन यहां जंगली जानवरों सांप और अजगर का ग्रामीणों क्षेत्रों में आना आम बात है. ऐसे में अनुभव और ट्रेनिंग लेने वाले वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अगर एक अजगर को रेस्क्यू करने में असफल हो जाते हैं, तो क्षेत्र के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

 इस तरह कब तक वन विभाग के लोग अन्य स्नेक केचर और रेस्क्यू करने की निजी टीमों के भरोसे रेस्क्यू कर वाह-वाही लूटाते रहेंगे. विभाग के अधिकारीयों को भी वनकर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग और संसाधन देकर लोगों और जगली जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रयास करने होंगे. आज तो अजगर को रेस्क्यू कर के प्रतापगढ़ के भंवरलाल ने लोगों को राहत दे दी है, लेकिन आने वाले समय भी क्या विभाग भंवरलाल के भरोसे ही रेस्क्यू करेगी या अपने कर्मियों को इसके काबिल बनाएगी. यह तो देखने वाली बात होगी. फिलाल भंवरलाल ने हौंसलों ने चार दिन से जिस अजगर को वन विभाग नहीं पकड़ पाया. 

Reporter-Vivek Upadhyay

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