जब आमने-सामने हुए वसुंधरा राजे-सचिन पायलट तो मुस्कुरा कर किया अभिवादन, सियासी गलियारे में बना चर्चा का विषय
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जब आमने-सामने हुए वसुंधरा राजे-सचिन पायलट तो मुस्कुरा कर किया अभिवादन, सियासी गलियारे में बना चर्चा का विषय

कहते हैं सियासत में ना कोई स्थाई दोस्त और ना ही कोई स्थाई दुश्मन होता है. ऐसी ही बानगी राजस्थान विधानसभा के सत्र के आगाज पर देखने को मिली. जब दो दिग्गज नेताओं ने राजस्थान की सियासत की सामान्य शिष्टाचार की परंपरा को निभाया.

जब आमने-सामने हुए वसुंधरा राजे-सचिन पायलट तो मुस्कुरा कर किया अभिवादन, सियासी गलियारे में बना चर्चा का विषय

Vasundhara Raje - Sachin Pilot : कहते हैं सियासत में ना कोई स्थाई दोस्त और ना ही कोई स्थाई दुश्मन होता है. ऐसी ही बानगी राजस्थान विधानसभा के सत्र के आगाज पर देखने को मिली. जब दो दिग्गज नेताओं ने राजस्थान की सियासत की सामान्य शिष्टाचार की परंपरा को निभाया. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सचिन पायलट के बीच सदन में संवाद हुआ. इस रोचक वाक्य को लेकर सियासी गलियारे में जबरदस्त चर्चाएं.

वसुंधरा-पायलट की हुई मुलाकात

दरअसल पधारो म्हारे देस वाले राजस्थान की पहचान ही शिष्टाचार से है. भले ही नीतियां और विचारधारा अलग-अलग हो लेकिन आमतौर पर जब भी नेता एक दूसरे से मिलते हैं तो सामान्य शिष्टाचार की परंपरा को निभाना नहीं छोड़ते हैं और कुछ ऐसा ही वाक्य शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा मैं देखने को मिला. जब वसुंधरा राजे और सचिन पायलट आमने-सामने आ गए और दोनों ने मुस्कुराते हुए मुलाकात की और एक दूसरे से बातचीत की.

हालांकि एक समय ऐसा भी था जब सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे को जमकर कोसा, तब सचिन पायलट पीसीसी चीफ हुआ करते थे और वसुंधरा राजे सूबे की मुखिया. लेकिन इन सब सियासत के बावजूद शुक्रवार को जा दोनों नेता एक दूसरे के सामने आए तो दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया. इस दौरान नरेंद्र बुडानिया, नरेंद्र नागर, महादेव सिंह खंडेला और इंद्राज गुर्जर भी मौजूद रहे.

इससे पहले वसुंधरा राजे और घनश्याम तिवारी की भी ऐसी ही शिष्टाचार मुलाकात हुई. जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं रही. वसुंधरा राजे विधानसभा पहुंची तो पीछे से घनश्याम तिवारी की आवाज सुनकर रुक गई. इसके बाद राजे ने तिवारी से हाथ मिलाया और उसके बाद दोनों ही नेता एक साथ सदन में दाखिल हुए. बता दें कि वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान घनश्याम तिवारी उनकी सरकार में मंत्री थे, लेकिन बाद में धुर विरोधी बन गए थे, जिसके चलते वह तिवारी ने भाजपा से नाता तोड़ दिया था हालांकि कुछ वक्त पहले तिवारी की घर वापसी हो गई.

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