Rajasthan- चुनावी ड्यूटी कटवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों ने लिया मंत्रियों-विधायकों का सहारा, जिला निर्वाचन की बढ़ी मुश्किलें
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Rajasthan- चुनावी ड्यूटी कटवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों ने लिया मंत्रियों-विधायकों का सहारा, जिला निर्वाचन की बढ़ी मुश्किलें

 Rajasthan: आचार संहिता लगने के बाद सरकारी कर्मचारियों को चुनाव में ड्यूटी लगने का डर सता रहा है. इसके लिए अब सरकारी कार्मिक चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए अजब-गजब तरकीब लगा रहे हैं. चुनाव ड्यूटी आने के बाद कोई बीमारी का बहाना बना रहा है.

Rajasthan Election Commission

 Rajasthan: आचार संहिता लगने के बाद नेताजी के हाथ बंध गए हैं लेकिन, अभी भी सिफारिशें कम नहीं हुई हैं.चुनाव में ड्यूटी कटवाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर विधायक और राज्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों, ब्यूरोक्रेट्स के लेटरहैड पर कार्मिकों की ड्यूटी कटवाने की सिफारिश भरे पत्र जिला निर्वाचन में पहुंच रहे हैं. अब अफसर भी पशोपेश में है किसकी सिफारिश माने किसकी नहीं.यदि सिफारिशों पर ड्यूटी कैंसिल हुई तो निर्वाचन की प्रकिया कराना प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाएगा.

 अजब-गजब तरकीब

निर्वाचन प्रक्रिया बड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही का काम है, लेकिन सरकारी कार्मिक चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए अजब-गजब तरकीब लगा रहे हैं. चुनाव ड्यूटी आने के बाद कोई बीमारी का बहाना बना रहा है.तो कोई मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के लेटरहेड पर लिखवाकर ड्यूटी कटवाने के लिए जिला निर्वाचन शाखा में पहुंच रहा है.और मंत्री-विधायक भी ट्रांसफर की डिजायर की तर्ज पर आचार संहिता लगने के बाद भी अपने लैटरहैड पर कार्मिकों की चुनावी ड्यूटी कटवाने के लिए सिफारशी पत्र भेज रहे हैं.और तर्क दे रहे हैं की इन कार्मिकों की ड्यूटी लगने से उनके कार्यालय में काम प्रभावित होगा.जबकि आदर्श आचार संहिता लगने के बाद मंत्री कोई फैसला ले नहीं सकते हैं.ना ही कोई ज्यादा काम रहा है.जबकि अभी उनके पास एसए (RAS)लगे हुए हैं.

अब तक 17 से ज्यादा कैबिनेट, राज्यमंत्री, बोर्ड अध्यक्ष और विधायक, मुख्यमंत्री सलाहकार अपने लेटरहैड पर 53 कार्मिकों की ड्यूटी कटवाने की सिफारिश कर चुके हैंउसके बावजूद ड्यूटी काटने के लिए सिफारिशें भेज रहे हैं.जिसमें लिखा गया हैं की चुनाव में ड्यूटी लगने से विभाग में काम प्रभावित होगा.इतना ही नहीं निर्वाचन की प्रकिया को समझने वाले अलग अलग विभागों के एचओडी ब्यूरोक्रेट्स ने भी जिला निर्वाचन अधिकारी को चुनाव में कार्मिकों की ड्यूटी हटाने के लिए पत्र लिखा हैं.जबकि उन्हें पता है की जब कार्मिकों की ड्यूटी कैंसल होने लगेंगी तो फिर निर्वाचन की प्रकिया कौन करवाएगा.

बिना कार्मिकों के चुनाव की प्रकिया कैसे पूरी होगी

जिला निर्वाचन अधिकारी प्रकाश राजपुरोहित ने बताया की ड्यूटी कैंसल के आवेदनों की स्क्रूटनी करने के लिए एक कैंसिलेशन कमेटी का गठन कर दिया है.इसके अलावा मेडिकल बोर्ड का गठन किया है...मेडिकल अनफिट कार्मिकों के प्रार्थना पत्रों की जांच की जा रही हैं...जिला निर्वाचन अ​धिकारी की ओर से अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अ​धिकारी और तहसीलदार जयपुर को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.

35 हजार कार्मिकों की लगाई गई है ड्यूटी 

गौरतलब हैं की जयपुर जिले में विधानसभा चुनाव में करीब 35 हजार कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई है...ड्यूटी कैंसिल को देखते हुए करीब 15 फीसदी कार्मिक रिजर्व में रखे जाएंगे.जयपुर जिले के 97 विभागों के करीब 50 हजार से अधिक कार्मिकों का डाटा मंगवाया है.इनमें से ड्यूटी लगाई है..

इन मंत्रियों-विधायकों ने की ड्यूटी कैंसल करवाने की सिफारिश

1-मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय

2-मंत्री परसादीलाल मीना

3-मंत्री राजेन्द्र यादव

4-सोजत विधायक शोभा चौहान

5-मंत्री ममता भूपेश

6-अन्य पिछडा वर्ग अध्यक्ष (राज्यमंत्री) पवन गोदारा

7-मंत्री शकुंतला रावत

8-मंत्री लालचंद कटारिया

9-मंत्री टीकाराम जूली

10-मंत्री सुभाष गर्ग

11-मंत्री शाले मोहम्मद

12-मंत्री विश्वेन्द्र सिंह

13-मंत्री बीडी कल्ला

14-मंत्री अर्जुन बामनिया

15-मंत्री सुखराम विश्नोई

16-माटी कला बोर्ड अध्यक्ष (राज्यमंत्री) डूंगरराम गेदर

17-निरंजन आर्य- सलाहकार मुख्यमंत्री

 45 हजार अधिकारियों-मुलाजिमों की लगा ड्यूटियां 

बता दें कि विधानसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने 45 हजार अधिकारियों-मुलाजिमों की ड्यूटियां लगाई हैं...इनमें 1 हजार से ज्यादा ऐसे हैं, जिनकी तरफ से चुनाव में ड्यूटियां न देने को लेकर एप्लीकेशन डाली हैं...लेकिन जिला निर्वाचन शाखा में ड्यूटी कैंसल करवाने वाली आवेदनों को देखकर अधिकारी भी सकते में हैं..क्योंकि अब तक सैकड़ो कर्मचारी चुनाव ड्यूटी निरस्त करवाने के आवेदन के साथ हार्ट, कैंसर, डायबीटिज जैसी अन्य घातक बीमारियों के पर्चे जांच रिपोर्ट भी लगा रहे हैं.

ये बना रहें बहाने

मेरे सास-ससुर बुजुर्ग हैं...उनकी दवाइयां चल रही है.. में उनकी सेवा करने वाला कोई नहीं है.. मैं ही उनका ख्याल रखती हूं...मेरी पत्नी गर्भवती हैं..घर की सारी जिम्मेदारी मैं ही पूरी करता हूं.सुबह बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर घर का सारा काम मुझे ही करना होता है.इसके साथ ही कुछ दुर्घटना में घायल होने की बात कह रहे हैं.साहब माता पिता घर में अकेले हैं..उनकी कोई देखभाल करने वाला नहीं है इसलिए ड्यूटी काट दीजिए...तनाव नहीं ले सकता, डॉक्टर ने मना किया है.बच्चे छोटे हैं, पत्नी अकेली नहीं सभांल सकती...पोस्ट कोविड के लक्षण अभी भी झेल रहा हूं, चक्कर आते रहते हैं.कुछ ऐसे ही शब्द सुनाई देने के साथ ही चुनाव ड्यूटी कटवाने के लिए अधिकारियों के पास प्रार्थना पत्र पहुंच रहे हैं..हकीकत में जो भी हो लेकिन इन दिनों सभी श्रवण कुमार ही नजर आ रहे हैं.

खास बात है कि इनमें अ​धिकतर म​हिला कार्मिक अपने सास-ससुर की सेवा करने का हवाला दे रही हैं तो पुरुष कार्मिक भी पत्नी की तबियत खराब होने के चलते और पत्नी के गर्भवती होने के कारण घर का सारी जिम्मेदारी उठाने की बात कह रहे हैं.आलम यह है कि जिला कलक्ट्रेट में मैनुअली और डाक जरिए रोज 1 हजार से अ​धिक प्रार्थना पत्र पेश हुए हैं.दरअसल चुनावों में ड्यूटी से बचने के लिए सरकारी कर्मचारियों को अपने ये रिश्ते याद आ गए हैं.

शादी के कार्ड लगाकर भी मांगी छुट्टी

इतना ही नहीं कुछ कार्मिकों ने तो अपने रिश्वेदारों के शादी के कार्ड लगाकर भी ड्यूटी कटवाने का जुगाड किया हैं. जिसमें कहा गया हैं की परिवार में शादी है, व्यवस्थाएं मुझे ही संभालनी हैं. जिला परिषद एसीईओ सुनीता यादव ने बताया की मेडिकल प्रोब्लम से जिन कार्मिकों ने ड्यूटी कैंसल करवाने के लिए आवेदन किया उनकी मेडिकल बोर्ड से जांच करवाई गई. उनमें से अधिकतर कागजों में अनफिट बताने वाले कार्मिक फिट मिले.जिनकी ड्यूटी कैंसल नहीं की गई हैं. जो वास्तव में अनफिट हैं या बीमारी से ग्रसित हैं उनकी मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर करीब 56 कार्मिकों की ड्यूटी कैंसिल की गई हैं.वहीं 100 ऐसे कार्मिक हैं जिनकी ड्यूटी डबल लग गई हैं.

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