Ashok Gehlot Sardarpura Election : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे। सरदारपुरा सीट के लिए किसी ने आवेदन नहीं भरा है। ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया है.
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Ashok Gehlot Sardarpura Election : राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियां पूरे जोरों पर है. अशोक गहलोत इस बार फिर से जोधपुर की सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ सकते हैं. सरदारपुरा सीट के लिए किसी भी व्यक्ति ने टिकट की दावेदारी नहीं जताई. जिसके बाद ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर अशोक गहलोत को एक बार फिर अपनी सीट से उम्मीदवार चुना है. बता दें कि 1999 के बाद से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस सीट से लगातार जीतते आए हैं.
दरअसल सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र की महामंदिर और उदय मंदिर ब्लॉक कमेटी के संयुक्त बैठक आयोजित की गई जिसमें इस सीट से कोई भी दावेदार सामने नहीं आया इसके बाद अशोक गहलोत को पुनः इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया जोधपुर की 10 विधानसभा सीटों में से सरदारपुरा सीट को सबसे वीआईपी सीट माना जाता है और इस सीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले 25 सालों से लगता विधायक है.
सरदारपुरा सीट माली बाहुल्य सीट मानी जाती है. इस सीट से अब तक सबसे ज्यादा बार माली उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. हालांकि इस सीट पर अल्पसंख्यक, जाट, राजपूत, महाजन और ओबीसी मतदाताओं की भी बड़ी संख्या है. लेकिन इसके बावजूद पिछले 25 सालों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही यहां से चुनते आ रहे हैं.
साल 1998 में अशोक गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री चुना गया. लेकिन गहलोत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, लिहाजा ऐसे में सरदारपुरा सीट से विधायक मानसिंह देवड़ा ने अपनी सीट खाली कर अशोक गहलोत को दी. 1999 के उपचुनाव में अशोक गहलोत ने पहली बार सरदारपुरा सीट से विधायकी की ताल ठोकी और उन्होंने 49,280 वोटो से अपने प्रतिद्वंदी मेघराज लोहिया को शिकस्त दी.
1999 के उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में गहलोत ने फिर इसी सीट से ताल ठोकी. इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए अर्थशास्त्री महेंद्र कुमार झाबक को चुनावी मैदान में उतारा. लेकिन अशोक गहलोत की जादूगरी के आगे भाजपा का दांव फेल हुआ और गहलोत 18,991 मतों के अंतर से एक बार फिर विधानसभा पहुंचे.
2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अशोक गहलोत के सामने इस बार रणनीति बदलते हुए माली समाज से ही आने वाले पूर्व विधायक और मंत्री रहे राजेंद्र गहलोत को अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन राजेंद्र गहलोत भी अशोक गहलोत के सामने टिक ना सके और 15,340 मतों के अंतर से चुनाव हार गए.
2008 के विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगा चुके अशोक गहलोत चौथी बार सरदारपुरा सीट से चुनावी मैदान में थे और दो बार मुख्यमंत्री बनने का तमगा भी उनके नाम था. इस चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर अपनी रणनीति बदली और अबकी बार राजपूत प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा, बीजेपी की ओर से शंभू सिंह खेतासर चुनावी ताल ठोकने उतरे. हालांकि खेतासर को हार का सामना करना पड़ा और चौथी बार अशोक गहलोत सरदारपुरा से विधायक बने.
अशोक गहलोत पांचवीं बार सरदारपुरा से ही चुनावी मैदान में उतरे. तो वहीं भाजपा ने अपनी रणनीति एक बार फिर रिपीट की और शंभू सिंह खेतासर को ही टिकट दिया. लेकिन अशोक गहलोत के जादू के आगे शंभू सिंह कहां टिकने वाले थे. इस चुनाव में अशोक गहलोत के पक्ष में 63% जनता का समर्थन मिला और 45,000 मतों से भी ज्यादा के अंतर से जीत हासिल की.
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