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राजस्थान में किशनगढ़ की बनी-ठनी को भारत की मोनालिसा कहा जाता है क्योंकि, कला विशेषज्ञों का मानना है कि ये मोनालिसा के चित्र के मुकाबले ही खूबसूरत है. बनी-ठनी, किशनगढ़ शैली का एक अद्भुत नमूना मानी जाती है. ये चित्रकला शैली लगभग 300 साल से भी ज़्यादा पुरानी मानी जाती है.
बताया जाता है कि बनी-ठनी, राजा सावंत सिंह की अनाम प्रेयसी थीं और राजा सावंत सिंह ने ही बनी-ठनी का चित्र बनवाया था. ये बनी-ठनी का चित्र राजा ने अपने दरबार में प्रदर्शित किया था. बनी-ठनी का चित्र राजा ने चित्रकार निहालचंद को दिखाया तो निहालचंद ने चित्र में कुछ गलतियां बतायी थी.
राजस्थानी शब्द बनी-ठनी का मतलब होता है, 'सजी-धजी' या 'सजी-संवरी'. बनी-ठनी को राधा के प्रतीक के रूप में भी चित्रित किया जाता रहा है. साल 1973 में भारत सरकार ने बनी-ठनी डाक टिकट जारी किया था.
किशनगढ़ शैली की विशेषताओं में पुरुषों की लंबी छरहरी बनावट, उन्नत ललाट, लंबी नाक, पतले होंठ, और विशाल नयन शामिल हैं. जो भारत की मोनालिसा की इस पेंटिंग में साफ दिखती हैं.
बनी-ठनी या एक भारतीय चित्रकला है, जो किशनगढ़ से सम्बन्धित है. इनकी रचना निहाल चन्द ने की थी. इसको भारत की मोनालिसा भी कहते हैं.