Pabuji Ki Phad: फड़ धार्मिक स्क्रॉल पेंटिंग बनाने की राजस्थानी परंपरा है. राजस्थान के भोपा आदिवासी समुदाय द्वारा इसको बनाया जाता है.
फड़ लोककला राजस्थान की एक लोकप्रिय शैली हैं. चित्रकला की इस शैली को पारंपरिक रूप से कपड़े के लंबे टुकड़ों पर फड़ के रूप में उकेरा जाता है. लोक देव और देवनारायण के रूपों को बनाया जाता हैं. वहीं भगवान कृष्ण, रामायण और महाभारत के दृश्य भी इसमें चित्रितित किए जाते हैं.
फड़ को सूती कपड़े पर उकेरा जाता है. यह देखने में काफी अलग और खूबसूरत होती है. इसमें प्राकृतिक और चटक रंगो का प्रयोग किया जाता है. राजस्थान के भोपा आदिवासी समुदाय द्वारा इसको बनाया जाता है.
इस कला को बनाने के लिए पौधों और खनिजों से प्राप्त रंगों को गोंद के साथ मिलाया जाता है. फिर सूती कपड़े पर उबलते आटे और गोंद को मिलाकर स्टार्च बनाकर डिजाइन बनाते हैं. फिर इसे एक विशेष पत्थर के सांचे से जलाया जाता है, जिसे मोहर कहते हैं.
परंपरागत रूप से, भोपा, पुजारी, गायक मनोरंजन की शाम के लिए मंदिरों या पृष्ठभूमि के रूप में फड पेंटिंग करते थे. चित्रों में आंकड़े हमेशा सामने देखने के बजाय एक दूसरे को देखते हुए बनाए जाते हैं, जैसे कि वे एक दूसरे से बात कर रहे हों.
फड़ की एक और दिलचस्प विशेषता यह है कि देवता की आँखें हमेशा बेहद आकर्षक होती हैं, क्योंकि कलाकारों का मानना है कि इससे देवता जागते हैं. उसके बाद पेंटिंग एक मंदिर के समान पवित्र हो जाती है.