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ये है राजस्थान की 10 सबसे पावरफुल महिला नेता, 7 वां नाम भाजपा के लिए अहम!

  राजस्थान की सियासत में महिला नेताओं का दबदबा रहा है. फिर चाहे बात महारानी गायत्री देवी की रही हो या दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे या फिर आज के दौर में दीया कुमारी और दिव्या मदेरणा जैसी उभरती नेता हो.

वसुंधरा राजे - राजस्थान की सबसे पावरफुल महिला नेता

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वसुंधरा राजे - राजस्थान की सबसे पावरफुल महिला नेता

राजस्थान की सबसे पावरफुल महिला नेताओं में सबसे पहले नाम प्रदेश की दो बार मुखिया रही वसुंधरा राजे का आता है, साल 2003 में वसुंधरा राजे के रूप में राजस्थान को पहली महिला मुख्यमंत्री मिली थी, राजे 2003 से लेकर 2008 तक मुख्यमंत्री रहीं. इसके बाद साल 2013 में राजे फिर मुख्यमंत्री बनी और 2018 तक रहीं. राजे 5 बार सांसद और अटल बिहारी वाजपई की सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रह चुकीं हैं. राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में राजे फिर से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं. 

 

दिव्या मदेरणा - बढ़ा रही सियासी विरासत

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दिव्या मदेरणा - बढ़ा रही सियासी विरासत

राजस्थान की सियासत में कई ऐसे राजनीतिक परिवार हैं जिनकी दशकों से धाक रही है, इन्हीं में से एक प्रदेश का मदेरणा परिवार हैं. मदेरणा परिवार की युवा पीढ़ी से आने वाली दिव्या मदेरणा, तेजतर्रार महिला नेता है. दिव्या अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े करने से भी गुर्रेज नहीं करती हैं. उनके दादा परसराम मदेरणा प्रदेश के दिग्गज जाट नेता रहे हैं, साथ ही उनके पिता महिपाल मदेरणा भी कई बार मंत्री और विधायक रह चुके हैं. प्रदेश में मदेरणा परिवार की पिछले 5 दशकों से धाक रही है. हालांकि दिव्या पहली बार की युवा विधायक है. 

 

दीया कुमारी- राजघराने से संसद का सफर

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दीया कुमारी- राजघराने से संसद का सफर

जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी राजसमंद से सांसद हैं. जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई जयसिंह और महारानी पद्मिनी देवी की इकलौती पुत्री हैं. दीया कुमारी ने साल 2013 में सियासत में कदम रखा था, भाजपा ने उनपर विश्वास जता कर राजसमंद से विधायक पद का टिकट दिया था, जहां से उन्होंने जीत दर्ज कर जनता का दिल जीता. इसके बाद भाजपा ने उन्हें 2019 में राजसमंद से सांसद के तौर पर जीता कर लोकसभा भेजा. 

 

कृष्णा पूनिया - गोल्ड मेडल से राजनीति के अखाड़े में

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कृष्णा पूनिया - गोल्ड मेडल से राजनीति के अखाड़े में

राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली कृष्णा पूनिया राजनीति के अखाड़े में भी सफल रही. हरियाणा में जन्मी कृष्णा ने चूरू के सादुलपुर निवासी वीरेंद्र सिंह से शादी की और फिर यहीं बस गई. कृष्णा पूनिया ने सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के खिलाफ चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कॉग्रेस के टिकट पर कृष्णा ने चूरू के सादुलपुर से चुनाव जीता. कृष्णा साल 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में भी हिस्सा ले चुकीं हैं. 

 

शकुंतला रावत - गहलोत कैबिनेट की पावरफुल महिला मंत्री

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शकुंतला रावत - गहलोत कैबिनेट की पावरफुल महिला मंत्री

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में पावरफुल मंत्रियों में शकुंतला रावत का नाम शुमार है. रावत उद्द्योग मंत्रालय जैसा अहम् विभाग संभल रही है. पिछले दिनों उद्द्योग मंत्रालय की पहल पर प्रदेश में बड़े स्तर पर निवेश आया है. शकुंतला रावत लगातार प्रदेश में निवेश बढ़ने के लिए पहल कर रही हैं. शकुंतला रावत साल 2013 में पहली बार विधायक बनी और फिर साल 2018 में मंत्री बनी. इससे पहले रावत कांग्रेस पार्टी में कई अहम् पदों पर रह चुकी हैं. 

 

 

ममता भूपेश - महिला शशक्तिकरण की संभल रही कमान

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ममता भूपेश - महिला शशक्तिकरण की संभल रही कमान

दौसा के सिकराय से विधायक ममता भूपेश, प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग जैसा अहम् मंत्रालय सभाल रही हैं. ममता भूपेश के नेतर्तव में महिला एवं बाल विकास विभाग ने उड़ान जैसी कई अहम् योजनाएं महिलाओं के लिए लांच की है जो पूरे देश में एक मिसाल है. ममता दूसरी बार सिकराय से मंत्री बनी है. उनके पति डॉ. घनश्याम पहले डॉक्टर थे, लेकिन बाद में गहलोत सरकार की शिफारिश पर उन्हें IAS बना दिया गया. ममता भूपेश के दिल्ली तक अच्छे सम्भन्ध माने जाते हैं. 

 

डॉ. अलका गुर्जर - भाजपा का गुर्जर चेहरा

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डॉ. अलका गुर्जर - भाजपा का गुर्जर चेहरा

1961 में टोंक में जन्मी अलका गुर्जर, नाथू सिंह गुर्जर की पत्नी हैं. नाथू सिंह गुर्जर का गुर्जर वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रही है. अलका ने साल 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा था और बांदीकुई से जीत हांसिल की थी, भाजपा के आगामी चुनाव में अलका गुर्जर को चुनावी मैदान में उतार सकती है.

 

डॉ. गिरिजा व्यास - कम उम्र में राजनीति में रखा कदम

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डॉ. गिरिजा व्यास - कम उम्र में राजनीति में रखा कदम

कम उम्र में राजनीति में उतर कर शिखर तक पहुंचना भी आसान नहीं होता है, लेकिन डॉ. गिरिजा व्यास ने ऐसा कर दिखाया. महज 25 साल की उम्र में सियासत में कदम रखने वाली  गिरिजा व्यास ने 1985 में वे राजस्थान के उदयपुर से चुनाव लड़ा जीता. इसके बाद कामयाबी उनके कदम चूमते चली गई. वो कई बाद केंद्र और राज्य में मंत्री रह चुकी हैं. 

 

कृष्णेंद्र कौर दीपा - राजघराने से राजनीति का सफर

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कृष्णेंद्र कौर दीपा - राजघराने से राजनीति का सफर

राजस्थान की राजनीति में राजघरानों का शुरू से ही दबदबा रहा है. ऐसे ही भरतपुर शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली कृष्णेंद्र कौर दीपा प्रदेश की राजनीति में पिछले दो दशकों से सक्रीय है. 1985 में अपना सियासी सफर शुरू करने वाली कृष्णेंद्र कौर वसुंधरा राजे सरकार में पर्यटन मंत्री भी रह चुकी हैं. वो भरतपुर से सांसद और विधायक रह चुकी हैं. 

 

अनिता भदेल - मेयर से मंत्री बनने का सफर

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अनिता भदेल - मेयर से मंत्री बनने का सफर

भाजपा नेता अनिता भदेल ने मेयर से मंत्री बनने का तक का सफर तय किया है. अनिता ने अपने सियासी सफर की शुरुआत 1997 में एक नगर सेवक के रूप में की थी, जिसके बाद वो अजमेर नगर निगम की अध्यक्ष भी बनी. इसके बाद अनीता भदेल ने अजमेर पूर्व से विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बनी. बाद में भदेल ने साल 2008 और 2013 में भी जीत हांसिल की. भदेल वसुंधरा सरकार के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं और महिलाओं के लिए अच्छा काम करने के लिए राष्ट्रपति से सम्मानित भी हो चुकी हैं.