Dausa News: प्रदेश में इन दिनों पर्यटन अपने पीक पर है. इसके चलते दौसा जिले के बांदीकुई क्षेत्र के आभानेरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध चांद बावड़ी में देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं.
बांदीकुई शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित आभानेरी गांव में चांद बावड़ी पर्यटन स्थल स्थित हैं. जिसका शुरूआती नाम आभा नगरी था. लेकिन कालांतर में इसका नाम परिवर्तन कर आभानेरी कर दिया गया. चांद बावड़ी का निर्माण आठवीं व नवीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के राजा मिहिर भोज जिन्हें चांद के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने इसका निर्माण करवाया था. उन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांदबावडी पड़ा. दुनिया की सबसे गहरी बावडी़ चारों ओर से 35 मीटर चौडी़ हैं. तेरह मंजिला यह बावडी़ सौ फीट से भी ज्यादा गहरी हैं. इसमे़ं पुरातत्व विभाग के अनुसार भूलभुलैया के रूप में करीब 35 सौ सीढियां हैं. बावड़ी में सुरंगनुमा गुफा ही हैं.
दौसा जिले की विशेष पहचान बनीं यह बावडी़ अंधेरे और उजाले की बावड़ी के नाम से विश्व प्रसिद्ध हैं. क्योंकि चांदनी रात में यह एकदम दुधिया सफेद रंग की दिखाई पड़ती हैं. स्तंभ युक्त बरामदों से घिरी यह बावड़ी चारों ओर से वर्गाकार हैं. इसकी सबसे निचली मंजिल पर महिषासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मुर्तियां स्थापित हैं.
आभानेरी चांद बावड़ी के पास ही हर्षद माता का मंदिर स्थापित हैं. हर्षद यानी हर्ष, खुशी या उल्लास की देवी को ही हर्षद माता नाम दिया गया हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है जो भी सच्चे मन से माता से मन्नत मांगता है उसकी खुशी खुशी मुराद पुरी होती हैं. यह मंदिर महामेरू शैली में बना हुआ हैं. उसका मंडप एवं गर्भगृह दोनों ही गुम्मदाकार एवं छत युक्त हैं. मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं की प्रतिमाएं बनी हुई हैं, जो कि क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं.
आभानेरी चांद बावड़ी देशी व विदेशी पर्यटकों से दिनभर गुलजार नजर आती हैं. यहां देशी विदेशी पर्यटक स्थापत्य कला को निहारते नजर आते हैं। यहां चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा़, इंग्लैंड, अफ्रीका, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीटजरलैंड, केनिया, न्यूजीलैंड सहित अन्य देशों के पर्यटक भ्रमण पर आते हैं.