सुनो सरकार! पति विकलांग, बच्ची पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करने को मजबूर, अब तो सुन लो गुहार
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सुनो सरकार! पति विकलांग, बच्ची पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करने को मजबूर, अब तो सुन लो गुहार

Pali News : सुनो सरकार! पाली के जैतारण में विकलांग पति के चलते एक बच्ची पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करने को मजबूर है. परिवार को खाने पीने के लाले पड़ गए लेकिन सरकार और प्रशासन के कानों तक जूं नहीं रेंग रही है.

सुनो सरकार! पति विकलांग, बच्ची पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करने को मजबूर, अब तो सुन लो गुहार

Pali News : पाली जिला के जैतारण तहसील के बेड़कला ग्राम पंचायत में जोगाराम साठिया का परिवार रहता है और जोगाराम अपने परिवार का मजदूरी कर पेट पालता था, परिवार में पत्नी सहित पुत्र बालकिशन पुत्री रेखा पुराने छपरे में रहते थे, परिवार में जोगाराम ही कमाकर लाकर परिवार का पेट पालता था, लगभग 20 साल पहले जोगाराम मजदूरी करते समय विकलांग हो गया और परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट गया, और परिवार को खाने पीने के लाले पड़ गए, जोगाराम का सपना था कि परिवार को पक्का मकान बनाकर दूंगा, जिससे परिवार वाले आराम से सो सके, पर जोगाराम विकलांग होते ही परिवार वालों पर दुखों का पहाड़ टुट पड़ा.

परिवार वालों के पास रुपये नहीं होने से इलाज भी नहीं करा सके, और परिवार को खाने को लाले पड़ गए. आस-पास के पड़ोस के लोगों ने रोटी व सब्जी देकर परिवार का पेट भरते, कई बार तो परिवार को भुखा सोना पड़ता था, जोगाराम की पत्नी तुलछीदेवी ने मजदूरी कर पेट पालने लगी, और बेटी रेखा पढाई ने होशियार होने के बाद भी पिता के देखभाल करने के लिए पढाई कक्षा 7 में ही छोड़ दी. रेखा पढ़ लिख कर अधिकारी बनने की चाह धूमिल हो गई और पिता की सेवा में जुट गई, क्योंकि पिता उठने में लाचार है और उठ नहीं सकता है पिता को पानी पिलाने व रोटी खिलाने के कारण रेखा ने पढ़ाई को त्याग दिया और पिता की सेवा में जुट गई.

 रोती हुई पुत्री रेखा के आंसुओं को देखकर हर किसी की भी आंख नम हो जाती है. जोगाराम विकलांग के चलते ना तो उठ सकता है, नहीं ही बैठ सकता है. पत्नी व पुत्री जोगाराम को पकड़ कर शोच के लिए ले जाते हैं और वापिस चारपाई पर लेट आते हैं जोगाराम उठ कर पानी भी नहीं पी सकता है. इसलिए बच्ची रेखा 24 घंटे पिता के साथ रहती है, जोगाराम के पुराना छपरा बना हुआ है और ना तो छत है नहीं दीवार है और परिवार सर्दी गर्मी बारिश में खुले में सोना पड़ता है और रात को सांप और बिच्छू का भी खतरा बना रहता है और जोगाराम के परिवार को पंचायत की तरफ से शौचालय बना हुआ है इसके अलावा कोई भी सहायता नहीं मिली राज्य सरकार को बड़ी बड़ी घोषणा करती है. परंतु जोगाराम के परिवार को 25 साल से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है और जिसके पक्के मकान बने हुए उनको बीपीएल धारक के राशन कार्ड बने हैं.

जोगाराम बीपीएल कार्ड और प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. ग्राम पंचायत को इस परिवार के बारे में जानकारी होने के बाद भी आज तक कोई भी सरपंच व कर्मचारी ने इस परिवार पर ध्यान नहीं दिया और जिसके कारण यह था कि पिता के पास एकमात्र आवासीय भूखण्ड था, जिसमें उनके पति पत्नी बच्चा व बच्ची रहती है. आखिरकार प्लॉट के छपरे कंटीली झाड़ियां व गंदगी का ढेर ही ढेर, जहाँ उनको रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे स्थान पर लोग जहां अपने पशुओं को बांधने से शर्माते हैं. ऐसे स्थान पर गांव में परिवार को नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है.

तुलछीदेवी को मजदूरी के अलावा कोई अन्य आजीविका का स्थायी स्रोत नहीं है. इससे भी इनका घर का खर्चा नहीं चल पाता है. ऐसे में इनके दोनो बच्चों ने पढ़ाई छोड़ अपने स्तर की मजदूरी पर जाने को मजबूर हैं. वर्तमान सरकार द्वारा आमजन के लिए कई लोक कल्याणकारी योजनाएं संचालित हो रही है. लेकिन बड़ी विडम्बना की बात है कि अभी तक न उसे प्रधानमंत्री आवास योजना ,खाद्य सुरक्षा, पालनहार इत्यादि किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिला. यह पिछले 25 वर्षों से यहाँ निवास कर रही है लेकिन आज तक किसी भी जनप्रतिनिधियों या सरकारी अधिकारियों ने इनके सुध नहीं ली.

तुलछीदेवी ने अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य को संवारने के लिए स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों एवं भामाशाहों से राज्य सरकार की मानव कल्याणकारी योजनाओं से लाभ दिलवाने एवं परिवार की आजीविका चलाने के लिए हर सम्भव आर्थिक मदद करने की अपील की है. जोगाराम के परिवार को केवल आश्वासन मिला, कोई भी अधिकारी इस परिवार की सुध नहीं ली. आज भी इस परिवार को खाने के लाले पड़ रहे हैं, जहां बच्चों के खेलने कूदने का समय होता है, पर इस परिवार के बच्चे अपने पिता की सेवा में जुट गए हैं. बच्ची रेखा के छलकते आंसुओं कि अश्रु धारा से हर किसी का दिल रोने लग जाता है, परंतु प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए गए सर्वे सब कागजों में लीपापोती कर रहे हैं परंतु यह परिवार आज भी सरकारी सुविधाओं से वंचित है.

Reporter- Subhash Rohiswal

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