आखिर मेड़ता को कब मिलेगी उप जिला अस्पताल की सौगात, इलाज के लिए लोग हो रहे परेशान
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आखिर मेड़ता को कब मिलेगी उप जिला अस्पताल की सौगात, इलाज के लिए लोग हो रहे परेशान

 जिले का मेड़ता शहर आज भी उप जिला चिकित्सालय को तरस रहा है. भौगोलिक एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाने वाला मेड़ता राजनैतिक इच्छा शक्ति एवं दलगत राजनीति के चलते चिकित्सा सुविधाओं से वंचित है.

आखिर मेड़ता को कब मिलेगी उप जिला अस्पताल की सौगात, इलाज के लिए लोग हो रहे परेशान

नागौर: जिले का मेड़ता शहर आज भी उप जिला चिकित्सालय को तरस रहा है. भौगोलिक एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाने वाला मेड़ता राजनैतिक इच्छा शक्ति एवं दलगत राजनीति के चलते चिकित्सा सुविधाओं से वंचित है. तकरीबन 700 से अधिक का आउटडोर होने के बाद भी उप जिला चिकित्सालय का दर्जा प्राप्त नहीं कर पाया है, जबकि इससे कम आउटडोर रखने वाले कई शहर उप जिला चिकित्सालय की सेवाओं से सुसज्जित है.

दरअसल इस दर्द का मुख्य कारण यह है कि मेड़ता चिकित्सालय से कम या लगभग बराबर आउटडोर होने पर भी डेगाना, जायल, परबतसर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सालय में क्रमोन्नत कर दिया गया, लेकिन मीरा नगरी के नाम से प्रसिद्ध मेड़ता में उप जिला अस्पताल की सुविधा मुहैया नहीं कराया गया.  

राजनीतिक उपेक्षा एवं दलगत राजनीति का दंश झेल रहे मेड़ता चिकित्सालय के हालात ये हैं कि आपातकालीन सुविधा के लिए मेड़ता विधानसभा क्षेत्र के लिए सांसद कोष से उपलब्ध करवाई गई 108  एंबुलेंस को भी डेगाना विधानसभा क्षेत्र के ईडवा चिकित्सालय भेज दिया गया. चिकित्सालय का ट्रामा सेंटर निर्माण कार्य राज्य सरकार की अनुमति के उपरांत भी राजनीति की भेंट चढ गया है. भौगोलिक दृष्टि से भी मेड़ता लगभग 300  गांवों का केंद्र बिंदु है जहां से इन गांवों के मरीज उपचार के लिए मेड़ता चिकित्सालय पहुंचते हैं, चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के चलते लोगों को मजबूरी में 90 से 120 किलोमीटर का सफर तय कर नागौर, अजमेर या जोधपुर जाना पड़ रहा है.

कोरोना के नए वैरिएंट ने जनता को डर के साए में जीने को मजबूर कर दिया है. यहां का ऑक्सीजन प्लांट भी वर्तमान समय में आवश्यकता अनुरूप कार्य नहीं कर रहा है. चिकित्सा विभाग प्लांट के मेंटेनेंस के लिए नगर पालिका को दोषी बता रहा है. वहीं, नगर पालिका द्वारा यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया है कि नगर पालिका ने प्लांट बनवाकर चिकित्सा विभाग को सुपुर्द कर दिया है. अब मेंटेनेंस की जिम्मेवारी चिकित्सा विभाग की है. ऐसे हालात में यदि कोरोना की तीसरी लहर से संक्रमित मरीज चिकित्सालय पहुंचने जाते हो उन्हें ऑक्सीजन की समस्या से रूबरू होना होगा.

आउटडोर मरीजों के हर दिन आने का ये है आंकड़ा

मेड़ता   727

डेगाना 489 

जायल 600

परबतसर 750 मरीज 

यानी महीने की बात करें तो  मेड़ता 19086,  डेगाना 13580,  जायल 18000,  परबतसर 19 500 मरीज हर महीने पहुंचते हैं. आंकड़ों से भी समझा जा सकता है कि मेड़ता शहर की अनदेखी किस स्तर पर हुई है. क्षेत्र की जनता लंंबे समय से मांग करती आ रही है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला अस्पताल में तब्दील किया जाए, लेकिन लोगों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. 

REPORTER - HANUMAN TANWAR

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