हिंडौन: 5 साल से मृत समझकर जिस शख्स का परिजन कर रहे थे श्राद्ध, अब मिला जीवित
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हिंडौन: 5 साल से मृत समझकर जिस शख्स का परिजन कर रहे थे श्राद्ध, अब मिला जीवित

Hindaun, Karauli News: करौली के हिंडौन में जिस व्यक्ति को मृत समझ परिजन पांच वर्षों से श्राद्ध कर रहे थे, उसके जीवित मिलने की सूचना पर परिजनों की खुशी का ठिकाना ना रहा. 

हिंडौन: 5 साल से मृत समझकर जिस शख्स का परिजन कर रहे थे श्राद्ध, अब मिला जीवित

Hindaun, Karauli News: मानसिक अवसाद के कारण घर से निकले उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी सुभाष कुमार को 6 साल बाद परिवार वालों से मिलना नसीब हुआ. करीब 3 साल से सुभाष हिंडौन में लावारिस और विक्षिप्त जनों की सेवा में संचालित अपना घर आश्रम में रह रहा था. 

अपना घर आश्रम हिंडौन के अध्यक्ष राकेश गोयल ने बताया कि सुभाष मानसिक रूप से बीमारी के कारण आश्रम में रह रहा था, जहां उसकी देखभाल के साथ उपचार भी किया जा रहा था. गत दिवस सुभाष ने अचानक अलीगढ़ का नाम लिया, जिसके बाद उससे काफी पूछताछ करने पर उनके परिजनों के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद सुभाष के परिजनों को फोन पर सूचना दी गई. 

सुभाष के बहनोई अजीत सिंह, भाई बलवीर और बेटा ललित कुमार उन्हें लेने के लिए हिंडौन के अपना घर आश्रम पहुंचे. बेटे ने बताया कि 6 साल पहले उसके पिता मानसिक अवसाद से पीड़ित होकर घर से निकल गए. परिजनों ने उन्हें काफी जगह ढूंढा, लेकिन कहीं नही मिले. एक साल बाद उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो पत्नी ने पति को मृत मान लिया और रीति-रिवाज के अनुसार श्राद्ध करने लगी, लेकिन मंगलवार को परिजनों के मिलने ने हर किसी की आंखे नम कर दी. 

परिजनों ने बताया कि करीब 6 साल पहले मानसिक अवसाद की स्थिति में सुभाष(45) घर से निकल गए थे. काफी ढूंढने के बाद भी जब नहीं मिले तो परिवार जनों ने उन्हें मृत मान लिया और गांव के रीति-रिवाज के अनुसार इनका श्राद्ध भी किया जाने लगा. दो दिन पहले अपना घर आश्रम हिंडौन के माध्यम से उन्हें सुभाष के जीवित होने पता लगा, तो आंखें नम हो गई और खुशी का ठिकाना नहीं रहा.  परिजन सुभाष को लेने हिंडौन के अपना घर आश्रम पहुंचे तो लिपट कर रोने लगे और अपना घर आश्रम का आभार जताया. 

परिजनों ने बताया कि पत्नी के साथ अन्य परिवार के सदस्यों ने सुभाष के घर लौटने की उम्मीद छोड़ दी. हर कोई यह कहता था कि अब उनका लौटना संभव नहीं है, लेकिन सुभाष के बेटों को उम्मीद थी कि एक दिन उनके पिता जरूर घर आएंगे. 

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