हिंडौन: डेंगू के प्रकोप से बचना हो रहा मुश्किल, चिकित्सा विभाग बरत रहा लापरवाही
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हिंडौन: डेंगू के प्रकोप से बचना हो रहा मुश्किल, चिकित्सा विभाग बरत रहा लापरवाही

Hindaun, Karauli News: राजस्थान के करौली के हिंडौन क्षेत्र में डेंगू का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन गों का कहना है कि चिकित्सा विभाग डेंगू की रोकथाम के लिए एकदम लापरवाह नजर आ रहा है.

 

हिंडौन: डेंगू के प्रकोप से बचना हो रहा मुश्किल, चिकित्सा विभाग बरत रहा लापरवाही

Hindaun, Karauli News: राजस्थान के करौली के हिंडौन क्षेत्र में सर्दी की दस्तक के साथ डेंगू का प्रकोप दिखाई दे रहा है. हिंडौन क्षेत्र के ग्रामीण और शहरी इलाके में लगातार बढ़ रहे डेंगू के मामलों ने लोगों की नींद उड़ा दी है. एक ओर चिकित्सा विभाग डेंगू की रोकथाम के लिए हर संभावित कदम उठाने की बात कह रहा है, वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में डेंगू से बचाव के लिए ना तो फॉगिंग कराई जा रही है और ना ही लोगों को जागरूक किया जा रहाहै.

ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डेंगू की जांच के प्रबंध नहीं होने से मरीजों को हिंडौन और करौली जिला अस्पताल में आना पड़ रहा है, जिससे अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. इसके अलावा वायरल बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है. हिंडौन के शहरी क्षेत्र के अलावा बनकी और कोटवास सहित अन्य गांव में डेंगू के मरीज अधिक पाए गए हैं. 

लोगों का कहना है कि गांव में डेढ़ से दो दर्जन तक मरीज डेंगू बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन चिकित्सा विभाग गांव में ना तो फागिंग करा रहा है, ना ही उन्हें पर्याप्त उपचार मिल पा रहा है. वहीं चिकित्सा विभाग डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त फागिंग की बात कह रहा है. हिंडौन के जिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या 2000 से अधिक हो गए है, जिसमें से भर्ती होने वाले मरीजों में करीब आधे बुखार से पीड़ित हैं. 

बताया जा रहा है कि इस बार शहरी क्षेत्रों के बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू का प्रकोप अधिक पाया जा रहा है. अस्पताल में अधिक भीड़ होने के कारण मरीज निजी लैबोरेट्री पर जांच करा रहे हैं और डेंगू पाए जाने पर चिकित्सक से उपचार ले रहे हैं. इन मरीजों के आंकड़े चिकित्सा विभाग की सूची में दर्ज नहीं हो पा रहे. दूसरी ओर हिंडौन के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक चौधरी कहना है कि अस्पताल में की गई जांच के अनुसार पिछले 4 माह में 23 मरीज डेंगू से ग्रस्त मिले हैं, जिसमें 6 शहरी और 17 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं.

साथ ही उन्होंने बताया कि चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा गड्ढों में एमएलओ का छिड़काव करवाया जा रहा है. स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा देने के साथ कूलर टंकी में भरे हुए पानी को खाली करवाया जा रहा है. इसके साथ ही आवश्यक स्थानों पर फागिंग भी कराई जा रही है. डेंगू के केस मिलने पर चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है और नमूने लेकर उपचार किया जा रहा है, वहीं मरीजों की भी निगरानी रखी जा रही है. 

हिंडौन के जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि इस बार देर तक बारिश होने के कारण डेंगू के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने डेंगू से बचाव के लिए टंकी, कूलर, गड्ढों में पानी एकत्रित नहीं होने देने के साथ फुल बाजू की शर्ट और पेंट पहनना मॉस्किटो क्रीम, अगरबत्ती और मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि मरीज को डेंगू के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करके उपचार लें, उन्होंने बताया कि रक्त जांच से ही डेंगू की बीमारी का पता चलता है. 

डॉक्टर शर्मा का कहना है कि डेंगू के दूसरे चरण में बुखार उतर जाता है, लेकिन यह स्टेज अधिक खतरनाक होती है. इसलिए मरीजों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और चिकित्सक के परामर्श के अनुसार चलते हुए समय पर उपचार लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि घरों पर रखे हुए कूलर, गमले, मटके, टायर, छतों पर रखे अनावश्यक कबाड़ में मच्छर पनपते हैं. 

उनका कहना है कि बैंबू बोतल आदि में लगे पौधे में भी लार्वा पैदा होता है, इसलिए पानी को सप्ताह में दो बार अवश्य बदलना चाहिए. डेंगू और वायरल बुखार के प्रकोप के कारण अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार लगी है. 

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वहीं भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. हिंडौन क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंगू के जांच की सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को हिंडौन और करौली जांच कराने के लिए आना पड़ता है, लेकिन अस्पताल में लंबी लाइन के चलते मरीज निजी लोगों पर ही अपने रक्त की जांच कर आते हैं. ऐसे में मरीजों में डेंगू की पुष्टि तो हो जाती है, लेकिन चिकित्सा विभाग के रिकॉर्ड में उन मरीजों का नाम शामिल नहीं हो पाता है. 

डेंगू की रोकथाम के लिए एक ओर जहां लोगों को स्वयं जागरूक होकर अपना बचाव करना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर चिकित्सा महकमे को भी बीमारी को गंभीरता से लेने के साथ सुरक्षा के पर्याप्त उपाय करने होंगे.

Reporter: Ashish Chaturvedi

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