गुड़ला पांचना संघर्ष समिति ने बुधवार को पांचना बांध पर गुर्जर नेता विजय बैंसला की अध्यक्षता में बैठक कर निर्णय लिया और कलेक्ट्रेट पहुंच कलेक्टर एवं एसपी को आपत्ति का ज्ञापन सौंपा.
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Karauli : राजस्थान के करौली में पांचना बांध से कमांड क्षेत्र की नहरों में पानी छोड़ने को लेकर उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद कलेक्टर ने 5 अगस्त तक आपत्ति मांगी है. गुड़ला पांचना संघर्ष समिति ने बुधवार को पांचना बांध पर गुर्जर नेता विजय बैंसला की अध्यक्षता में बैठक कर निर्णय लिया और कलेक्ट्रेट पहुंच कलेक्टर एवं एसपी को आपत्ति का ज्ञापन सौंपा.
बैठक में सभी वक्ताओं ने कहा कि 12 गांव बैंसला का हर व्यक्ति समिति का सदस्य है और हम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते है, लेकिन हमारा संघर्ष सरकार से है. सरकार पांचना गुड़ला लिफ्ट परियोजना को पूर्ण कर कमांड क्षेत्र के 39 गांवों के हर खेत तक पानी उपलब्ध कराने के बाद चाहे जिसे पानी दे समिति को कोई आपत्ति नहीं है.
वक्ताओं ने कहा कि वो 17 साल से संघर्ष कर रहे है. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लेट लतीफी के चलते एक साल में पूर्ण होने वाला काम 17 साल में पूरा नहीं हुआ है. जो हुआ है उसमें बनाई नहर, शहर में बनने वाली नालियों से छोटी है, उनसे एक खेत को भी पानी नहीं दिया जा सकता. समिति की अगली बैठक 20 अगस्त को देवनायण मंदिर पर होगी. जिसमें समिति की रुपरेखा तैयार की जाएगी.
विजय बैंसला ने बैठक में कहा कि पानी रोकने का खामियाजा हमने उठाया है. विभाग ने 39 गांवों तक नहर नहीं बनाई और जो बनाई है, वो नालियां है और अगर उनसे भी एक दिन में एक खेत को पानी नहीं दे सकते. क्षेत्रवासियों को पानी सरकार से चाहिए. सरकार हमारी मांग पूरी कर दें, हम सरकार की मांग पूरी कर देंगे.
प्रशासन की बैठकों में जो सही बोलता है उसे दुबारा नहीं बुलाया जाता. यह दो पक्षों की नहीं सूखे खेत और पानी की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि यह सरकार समझ लें वरना हम अच्छी तरह समझाने की औकात रखते है. साथ ही उन्होंने 2 लीगल टीमों को एकत्रित करने की बात भी कहते हुए कहा कि जो गांव पांचना बांध बनने के दौरान विस्थापित हुए उन्हें दिए जाने वाली सुविधाओं का वादा भी पूरा नहीं हो रहा.
अशोक सिंह धावाई ने कहा कि हमने 17 साल इंतजार किया है. सरकार ने 17 साल में हमारी मांग पूरी नहीं की. अब हमें न्यायालय के माध्यम से झुकाया जा रहा है. हमारी केवल एक मांग है, 39 गांवों के हर खेत को पानी मिले. सरकार जातीवाद के नाम पर लड़ाने का काम कर रही है, जो गलत है.
धाबाई ने आपत्ति का ज्ञापन पढ़कर सुनाया और 39 गांवों के नाम बताते हुए कहा कि इसमें ना कोई गांव हट सकता है और ना ही बढ़ सकता है. वर्ष 2010 में मुख्यमंत्री ने हमारी मांग स्वीकृत करते हुए वादा किया था कि पहला पानी आपको मिलेगा और हम आज भी उसी बात पर कायम है. पूर्व विधायक दर्शन सिंह ने सरकार तक समिति की मांग को पहुंचाने की बात कही.
डॉ. रुपसिंह ने कहा कि 17 साल से आप धैर्य रखे हुए हैं, मैं उसके लिए आपके धीरज को नमन करता हूं, लेकिन 16 साल में नहर नहीं बनी ऐसी कौनसी सरकार है. हमे अपने संघर्ष की रुपरेखा बनानी होगी. दो जातियों की बात कह कर सरकार बहाना बना रही है. जिलाधीश केवल पोस्टमास्टर है जो न्यायालय को हमारी और हमे न्यायालय की चिट्ठी बता रहे है हमारा संघर्ष सरकार से है.
एडवोकेट रामस्वरुप बैंसला ने कहा कि हमने अध्यक्ष के अलावा किसी को नहीं चुना है, सभी 12 गांव इसमें सदस्य है. भानुप्रताप उर्फ बटरु गुर्जर ने कहा कि 17 साल का नतीजा शून्य रहा है. प्रत्येक खेत और गांव को पानी मिल जाए, तब किसी और को देंगे. माढ़ई गांव को विस्थापित किया गया लेकिन आज वहां पीने को पानी और कृषि कनेक्शन नहीं दिए गए. किसान और उनके परिवार परेशान है सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया.
हाकिम सिंह बैंसला ने कहा कि लोकतंत्र में केवल सिर गिने जाते है. हमारी एकजुटता हमारी ताकत है. अगर 5 हजार लोग यहां होते तो सरकार की नींद हराम हो जाती. इसलिए समिति का विकास किया जाए और अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाए.
इस दौरान बहादुर सिंह ताली, सरजो देवी, जनक सिंह, बसंता पटेल आदि ने बैठक को संबोधित किया. इसके बाद विजय बैंसला के कहने पर 11 सदस्यीय दल के स्थान पर बैठक में उपस्थित सभी लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर अंकित कुमार सिंह एवं एसपी नारायण टोगस को आपत्ति का ज्ञापन देते हुए अपनी बात रखी. जिस पर कलेक्टर ने न्यायालय को आपत्ति भिजवाने का आश्वासन दिया.
रिपोर्टर- आशीष चतुर्वेदी
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